दोस्तों आज मैं आपको Surah Takasur Hindi Mein और Surah Takasur Ki Fazilat और इसकी Tafseer बताने जा रहा हूं । साथ ही साथ हम इसके Tarjuma पर भी गौर करेंगे । अगर आपको ये पोस्ट पसन्द आती है तो इसे शेयर जरूर करें । तो चलिए पोस्ट को शुरू करते हैं :
Surah Takasur
दोस्तों , सूरह अत तकासुर पढ़ने से पहले आपको इसके बारे में जानना जरूरी है । सूरह अत तकासुर मक्का में नाजिल हुई । इसमें आठ आयतें हैं और यह कुरान पाक के 30 वें पारे में है । इसमें बहुत सी चीजों के बारे में बताया गया है ।
Surah Takasur in Hindi
अलहा कुमुत्त तकासुर
हत्ता ज़ुरतुमुल मकाबिर
कल्ला सौफ' तअ'लमून
सुम्मा कल्ला सौफ' तअ'लमून
कल्ला लौ तअ'लमून इलमल यकीन
ल त र उन्नल जहीम
सुम्मा ल त र उन्नहा ऐनल यकीन
सुम्मा लतुस अलुन्ना यौ मैईजिन अनिन नईम
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Surah At Takasur Hindi Tarjuma
तुम्हें ज्यादा (माल) की लालच ने मग्न कर दिया ।
यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तान तक जा पहुँचे ।
अवश्य ही तुम्हें मालूम हो जाएगा ।
फिर (जान लो) अवश्य ही तुम्हें मालूम हो जाएगा ।
हकीकत में, यदि तुम्हें अंजाम का यकीन होता (तो ऐसा न करते) ।
तुम दोज़ख़ को जरूर देखोगे ।
फिर उसे यकीन की आंख से देखोगे ।
फिर तुमसे उस दिन नेअमतों के बारे में जरूर पूछताछ होगी ।
Surah At Takasur Ki Tafseer
पहली दो आयतों में उनलोगों को सावधान किया गया है जो दुनियावी माल व दौलत को ही को सब कुछ समझते हैं और उसे ज्यादा से ज्यादा हासिल करने की धुन उन पर ऐसी सवार है कि मौत के बाद क्या होगा इसे सोचते ही नहीं । कुछ तो धन की देवी बना कर उसे ही पूजते हैं ।
तीसरी , चौथी और पांचवीं आयत में सावधान किया गया है कि मौत के बाद क्या होनेवाला है ? उनकी आंख बन्द होते ही उन्हें इसका इल्म हो जायेगा। यदि आज तुम्हें इस पर यकीन होता तो अपने मुस्तकबिल की ओर से बेफिक्र न रहते । और तुम पर माल हासिल करने की ऐसी धुन सवार न होती।
छठी , सातवीं और आठवीं आयत में बताया गया है कि भले ही तुम दोज़ख़ के होने पर यकीन करो या न करो , लेकिन वह दिन आ कर रहेगा , जब तुम उस को अपनी आँखों से देखोगे , उस दिन तुम्हें इसपर पूरा यकीन हो जायेगा । लेकिन वह दिन इबादत का नहीं बल्कि हिसाब देने का दिन होगा । और तुम्हें हर नेअमत के बारे में अल्लाह तआला के सामने जवाबदेही करनी होगी ।
[ अहसनुल बयान ]
तकासुर का मतलब
तकासुर का मतलब है किसी भी चीज़ की ज़्यादती की चाह और तलब रखना । ( चाहे माल में हो या औलाद में या ओहदे और मर्तबे में )
दोस्तों , ये दुनिया का निजाम ही ऐसा है कि प्यासे से प्यासा आदमी भी पानी का गिलास पीकर मुतमईन हो जाता है । भूखेे से भूखा इंसान चंद रोटियां खाकर भूख मिटा लेता है लेकिन जब किसी इन्सान में दुनिया की मुहब्बत जरूरत से ज़्यादा बढ़ जाती है तो उसकी प्यास बुझाये नहीं बुझती । अगर कोई लाखपति है तो करोड़पति बनने की तलब लगी रहती है और अगर करोड़पति है तो अरबपति बनने की तलब रहती है और उसकी तलब किसी भी उम्र में ख़त्म नहीं होती बल्कि बढ़ती ही रहती है , यहां तक कि वो दुनिया से रुख्सत हो जाता है ।
प्यारे नबी (स.अ.व.) ने इरशाद फ़रमाया : अगर इंसान को सोने की एक वादी मिल जाये तो वो चाहेगा कि उसे दो वादियांं मिल जाएं ।
इस सूरह में अल्लाह तआला ने इंसान की इसी कमजोरी की तरफ़ इशारा किया है कि दुनियावी माल को ज्यादा से ज्यादा हासिल करने की चाह इंसान को आख़िरत से ग़ाफिल कर देती है । अल्लाह तआला ने इस कमजोरी का ईलाज भी बताया है और फरमाया है कि तुम्हें दोज़ख़ का खौफ़ और आख़िरत में जवाबदेही का यक़ीन रखना चाहिए , और यह भी याद रखना चाहिए कि अल्लाह तआला को भूल कर दुनिया की रंगीनियों में खो जाने वाले लोगों के लिए आखिरत में दोज़ख़ तैयार रखी गई है ।
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ऐनुल यकीन का मतलब
ऐनुल यक़ीन से मुराद उस यकीन से है जो किसी चीज़ को देखने के बाद आता है और ये सबसे आला दरजे का यकीन है । इंसान अपनी दुनियावी जिन्दगी में भी बहुत सी चीजों को सुनता है और बिना देखे उसपर यकीन करता है लेकिन इन्हीं बातों को जब वो अपनी आंखों से देख लेता है तो कैफियत कुछ और होती है । इस लफ्ज़ का मुराद दोज़ख़ को देखने से है । जब इंसान दोज़ख़ को अपनी आँखों से देख लेगा तब उसे आला दरजे का यक़ीन आएगा और वो तौबा करने और गिडगिड़ाने लगेगा ।
नईम का मतलब
नईम का मतलब अल्लाह की दी हुई नेअमतों से है । आखिरत में उन नेअमतों के बारे में सवाल व जवाब किया जाएगा कि तुम ने उन नेअमतों का क्या शुक्र अदा किया ?
Surah Takasur Ki Fazilat
प्यारे नबी हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) ने सहाबा एकराम से फ़रमाया ; तुम में से कोई आदमी इस बात की कुदरत नहीं रखता कि हर रोज़ कुरान की एक हज़ार आयतें पढ़ा करे । सहाबा ने अर्ज़ किया कि या रसुल्लूल्लाह (स.अ.व) ! रोज़ाना एक हज़ार आयतें कौन पढ़ सकता है ? तब अल्लाह के रसूल (स.अ.व) ने फ़रमाया " तुम में से कोई अल्हाकुमूत तकासुर नहीं पढ़ सकता , इसका मतलब है कि इस सूरह की तिलावत एक हज़ार आयतों के बराबर है ।
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हदीस में है कि नबी (स.अ.व.) ने फ़रमाया कि मैदान-ए-महशर में कोई भ आदमी अपनी जगह से खिसक भी नहीं पाएगा जब तक पांच सवालों का जवाब उससे न ले लिए जाएं । वो पांच सवाल ये हैं :
उस शख्स ने अपनी उम्र को किन कामों में खर्च किया है ?
अपनी जवानी की ताक़त को किन कामों में फ़ना किया है ?
जो माल उसने हासिल किया वो किस तरीके से हासिल किया ? (जाएज़ तरीके से या नाजाएज़ तरीके से )
उस माल को कहां खर्च किया ?
जो इल्म अल्लाह ने उसे दिया उस पर कितना अमल किया ?
Conclusion
दोस्तों उम्मीद है कि आपको Surah Takasur in Hindi | Fazilat के बारे मे यह पोस्ट पसन्द आई होगी । और इसकी भी आप समझ गए होंगे । इसकी फजीलत को ध्यान में रखते हुए इस सूरह की तिलावत किया करें । और इस आर्टिकल को सदका-ए-ज़ारिया की नियत से अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें । इंशाअल्लाह मैं आपसे फिर मिलूंगा अगली पोस्ट में , तबतक के लिए , अल्लाह हाफिज़ !