Chast Ki Namaz ka tarika Hindi Mein
चास्त की नमाज़ का तरीका | Chast Ki Namaz ka tarika
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू ! दोस्तों आज के इस पोस्ट में मैं आपके साथ चास्त की नमाज़ का तरीका ( Chast Ki Namaz ka tarika ) , चास्त की नमाज़ की फज़ीलत ( Chast Ki Namaz Ki Fazilat ) , चास्त की नमाज़ का वक़्त ( Chast Ki Namaz ka time ) और चास्त की नमाज़ की नियत ( Chast Ki Namaz Ki Niyat ) की मालूमात शेयर करने वाला हूं । उम्मीद है कि आपको आज का ये पोस्ट जरूर पसन्द आएगा । इसे सदका-ए-ज़ारिया की नियत से अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें । तो चलिए इस पोस्ट को शुरू करते हैं ।
चास्त की नमाज़ क्या है ? What is Chast Namaz
चास्त नमाज़ का दूसरा नाम सलातुल ज़ुहा है , और यह एक नफ्ल नमाज़ है । चास्त की नमाज़ फ़र्ज़ या वाजिब नहीं है । लेकिन फिर भी इसकी बेहतरीन फजीलतों के वजह से बहुत से लोग चास्त की नमाज़ हर रोज़ पढ़ते हैं ।
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चास्त की नमाज़ का वक्त | Chast Ki Namaz Ka Time
दोस्तों , चास्त की नमाज़ का तरीका जानने से पहले चास्त की नमाज़ का वक्त (Chast Ki Namaz Ka Time) जानना जरूरी है । जो इस तरह है :
सुबह सूरज के तुलूअ होने (उगने) के 20 मिनट बाद इशराक का वक़्त शुरू होता है । यानी सूरज के निकलने के लगभग 20 मिनट बाद अगर आप सूरज को देखेंगे तो आप आराम से उसको देख पाएंगे या नजरें मिला पाएंगे । यही वक़्त इशराक का वक़्त होता है । इसी वक़्त में इशराक की नमाज़ पढ़ी जाती है । फिर ,
जब इशराक के वक्त के थोड़ी देर बाद , सूरज की तपिश तेज हो जाए या उसकी चमक आंखों को फेरने पर मजबूर करने लगे । यानी सूरज को खुली नजरों से देखने में तकलीफ महसूस हो तो समझ लें कि अब चास्त का वक्त शुरू हो गया है । और हमें इसी वक़्त में चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) पढ़नी चाहिए । चास्त की नमाज़ का ये वक्त ज़वाल तक रहता है ।
चास्त की नमाज़ की फजीलत Chast Ki Namaz Ki Fazilat
हजरत सय्यिदना अबू हुरैरा (रजि.) से रिवायत है कि हूजूर (स.अ.व) ने फरमाया : “ जो शख्स चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) की दो रकात पाबन्दी से अदा करता रहेगा , उसके गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं चाहे उसके गुनाह समुंदर के झाग के बराबर ही क्यों न हो । [ सुब्हानअल्लाह ]
हजरत अबू दरदा (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने फरमाया
जो आदमी चास्त की 2 रकात नमाज़ पढ़े वो गाफ़िलों में शुमार नहीं होता । और जो 4 रकात पढ़े उसका शुमार इबादतगुज़ारों में किया जाता है । और जो 6 रकात पढ़े उसका पूरा दिन सलामती के साथ गुज़रता है, और जो 8 रकात पढ़े अल्लाह तआला उसका नाम फरमाबरदारों की फेहरिस्त में लिख देते हैं, और जो 12 रकात पढ़े अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत में एक महल बनाते हैं ।
👉 चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) पढ़ने की और भी फजीलतें आगे बयान की गई हैं ।
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चास्त की नमाज़ कितनी रकात की होती है Chast Ki Namaz Kitni Rakat Padhi Jati Hai ?
दोस्तों , जैसा कि मैंने उपर बताया कि चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) फर्ज़ या वाज़िब नहीं है । लिहाज़ा आप इस नमाज़ को 2-2 रकात की नियत करके भी पढ़ सकते हैं । और 4-4 रकात की नियत से भी पढ़ सकते हैं । और अपनी मर्ज़ी के मुताबिक चास्त नमाज़ (Chast Namaz Rakat) 2 रकात से लेकर 12 रकात तक जितनी मर्जी चाहे पढ़ सकते हैं । [ कम से कम दो रकात और ज्यादा से ज्यादा बारह (12) रकात ]
चास्त की नमाज़ की नियत Chast Ki Namaz Ki Niyat
नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ चास्त की , वास्ते अल्लाह तआला के , मुँह मेरा काबा शरीफ के तरफ , अल्लाहु अकबर !
[ नोट : ज़ुबान से नियत कहना ज़रूरी नहीं है । अगर आप कह लें तो मुस्तहब है ]
चास्त की नमाज़ का तरीका Chast Ki Namaz kaise Padhe jati hai ?
- सबसे पहले चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) की नियत करें ।
- नियत करने के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ बांध लें ।
- फिर सना पढ़ें ।
- उसके बाद सूरह फातिहा और क़ुरआन शरीफ की कोई भी सूरत पढ़ें ।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएं ।
- रुकू की तस्बीह पढ़ने के बाद समिअल्लाहु लिमन हमिद्ह कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं । (मुक्तदी को रब्बना लकल हम्द भी कहना चाहिए ।)
- अब फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में चले जाएं ।
- सज्दे में जाकर सज्दा की तस्बीह पढ़ें ।
- इसी तरह दो सज्दे मुकम्मल करें ।
- दूसरे सज्दे के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं ।
- अब आपकी एक रकात मुकम्मल हो गई । दूसरी रकात को भी इसी तरह पढ़ें ।
- दूसरी रकात के दौरान सज्दे के बाद अल्लाहु अकबर कहकर खड़े होने के बजाए बैठ जाएं ।
- फिर तशह्हुद पढ़ें । उसके बाद दुरूद शरीफ पढ़ें ।
- और आखिर में दुआए कुनूत पढ़ कर सलाम फेर दें ।
- इस तरह आपकी दो रकात चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) मुकम्मल हो गई ।
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चास्त की नमाज़ (Namaz Chast) कब नहीं पढ़ना चाहिए ?
इशराक और चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) का वक्त ज़वाल के वक्त से ठीक पहले तक होता है ।
यानी ज़वाल होने से पहले तक आप इशराक और चास्त दोनों नमाज़ें पढ़ सकते हैं ।
पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) ने फरमाया : तीन वक्त ऐसे हैं जिसमें कोई भी नमाज़़ नहीं पढ़नी चाहिए ।
- तुलूअ आफ़ताब ( सूरज के निकलने से लेकर अगले 20 मिनट तक )
- ग़ुरूब आफ़ताब और
- ज़वाल ।
चास्त की नमाज़ (Chasht Ki Namaz) में कौन सी सूरतें पढ़नी चाहिए ?
आप चास्त की नमाज़ (Chast Ki Namaz) में भी बाकी नफ्ल नमाज़ों की तरह कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं । लेकिन अगर आपको सूरह वज़्ज़ुहा और सुरह वश्शम्स याद हो , तो इन सूरतों को पढ़ लें ।
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चास्त की नमाज़ की फजीलत इन हिन्दी Chast Namaz Ki Fazilat
हजरत अनस (रजि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने इरशाद फ़रमाया : जिस शख्स ने भी चास्त की नमाज़ ( Chast Ki Namaz ) 12 रकअत पढ़ी ! अल्लाह तआला जन्नत में उसके लिए सोने का महल बनाएगा ।
{ सुन्ने तिर्मिज़ी हदीस 473 है और सुन्ने इब्ने माज़ा हदीस 1380 }
हजरत अली (रज़ि.) ने रिवायत की , कि नबी करीम (स.अ.व) चास्त की नमाज़ ( Chast Ki Namaz ) 4 रकअत पढ़ते थे ।
{ सही मुस्लिम हदीस नम्बर 719 । सुन्ने इब्ने माज़ा हदीस नम्बर 1381 }
हजरत ऐतबान बिन मालिक (रज़ि.) ने बयान किया कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने इनके घर में चास्त की नमाज़ ( Chast Ki Namaz ) 4 रकअत पढ़ी !
{ मुस्तदे ईमान बिन हम्बल ज़िल्द नम्बर 5 सफा नम्बर 450 }
Chast Ki Namaz (चास्त नमाज़) Ke Benefits in Hindi
हजरत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि मुझे मेरे ख़लील सरकारे दो आलम (स.अ.व) ने तीन चीजों की वसीयत की है , जिनको मैं कभी नहीं छोडूंगा , हत्ता की मैं फौत हो जाऊं । वो तीन चीजें ये हैं :
- हर माह में तीन दिन के रोज़े
- चास्त की नमाज़ (Chasht Ki Namaz)
- वित्र नमाज़ पढ़कर सोना
दोस्तों , कई अलग अलग रिवायात और हदीसों से ये मालूम होता है कि हुजूर पाक (स.अ.व) ने चास्त की नमाज़ कभी 2 रकअत , कभी 4 रकात , कभी 6 रकात , कभी 8 रकात और कभी 12 रकात पढ़ी है । आप के लिए जो भी मुमकीन हो , उतना पढ़ें ( 2 से लेकर 12 रकात तक) ।
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आखिरी बात
दोस्तों , इस पोस्ट में मैंने आपको Chast Ki Namaz Ka Tarika , Chast Ki Namaz Ki Fazilat, Chast Ki Namaz Ki Niyat , Dua, Time और चास्त की नमाज़ की रकात की मालूमात दी है । उम्मीद है कि आपको ये पोस्ट जरूर पसन्द आया होगा । इस पोस्ट को सदका-ए-ज़ारिया की नियत से अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी ज्यादा से ज्यादा शेयर करें । और इस पोस्ट में दी गई मालूमात पर अमल करना बिल्कुल भी न भूलें । इसी तरह की बेहतरीन पोस्ट की नोटिफिकेशन सबसे पहले अपने मोबाईल/लैपटॉप पर पाने के लिए हमें सोशल मीडिया पर Follow कर लें । अल्लाह हाफिज़ !
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