दोस्तों, आज मैं आपको तहज्जुद की नमाज का तरीका (Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika) , इसकी नियत (Niyat), वक्त (Time), Rakat और फजीलत (Fazilat) के बारे में बताने जा रहा हूँ । इसीलिए आपसे गुजारिश है कि इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़ें ताकि आपको सब कुछ आसानी से समझ में आ सके ।
Tahajjud Ki Namaz Time & Rakat
Tahajjud Ki Namaz का time आधी रात के बाद से लेकर सुब्ह सादिक से पहले तक है । इस नमाज को दो-दो रकात करके 4 से 12 रकात तक पढ़ना चाहिए । इस नमाज की फजीलत बे-अन्दाज़ा हैं । जहां तक मुमकिन हो , इसे छोड़ना नहीं चाहिए । जो आयतें या सूरह याद हो , वही पढ़ना चाहिए । किसी खास सूरह को ही पढ़ना जरूरी नहीं है ।
Tahajjud ki Namaz Padhne ka Tarika
अगर हम हदीस पढ़ें तो मालूम ये होगा कि रात के आखिरी हिस्से में अल्लाह तआला अपने पूरे लुत्फ-ओ-करम और अपनी ख़ास शान-ए-रहमत के साथ अपने बन्दों की तरफ मुतवज्जह होते हैं, और जिन बन्दों को अल्लाह तआला ने इस बात का कुछ अक्ल-ओ-शऊर बख्शा है तो वो इस मुबारक वक़्त में तहज्जुद की नमाज़ ( Tahajjud Ki Namaz ) की बरकतों को महसूस करते हैं ।
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इसी वजह से ऐसे लोग अपने नींद को काबू करके अपने-अपने बिस्तरों को छोड़ देते हैं और वजू करके अपने रब के सामने हाथ बांध कर खड़े हो जाते हैं । वो ऐसी मुबारक वक़्त में अपने रब के सामने रुकू और सज्दा करते हैं और अपने गुनाहों पर रोते हैं , और अपनी मगफिरत की दुआ करते हैं ।
तहज्जुद की नमाज पढ़ने वालों के चेहरों पर खुदा तआला एक खास किस्म का नूर अता फरमाता है ।
Tahajjud Ki Namaz Time
तहज्जुद की नमाज़ का वक्त (Tahajjud Ki Namaz Ka Time) आधी रात के बाद से लेकर सुबह सादिक तक होता है लेकिन अगर आप सोने के बाद नहीं उठ पाते हों तो बेहतर है कि ईशा की नमाज़ अदा करते वक़्त वित्र की नमाज से पहले चार रकात नमाज ( दो दो रकात कर के ) तहज्जुद की नियत से पढ़ लीजिए और उसके बाद वित्र की नमाज पढ़िए तो इंशाअल्लाह उस को नमाज-ए-तहज्जुद पढ़ने का सवाब मिल जायेगा । अगरचे वैसा सवाब न होगा जो आधी रात के बाद पढ़ने का है ।
Tahajjud Ki Niyat | तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे बांधे
Namaz e Tahajjud नफ्ल नमाज़ है इसलिए तहज्जुद की नमाज पढ़ने के लिए दो रकात नफ्ल नमाज़ ( तहज्जुद ) की नियत करें । ठीक वैसे ही जैसे आप दूसरे नमाज़ों की नियत करते हैं ।
Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika Step by Step
दोस्तों , Tahajjud Ki Namaz का कोई खास Tarika नहीं है , इस नमाज को ठीक वैसे ही पढ़ना चाहिए जैसे आप नफ्ल नमाज पढ़ते हैं । सिर्फ नियत का फ़र्क है । इसमें आपको तहज्जुद की नमाज की नियत करनी है । और दो-दो रकातें करके नमाज पढ़नी है ।
- रात में जब आप सो कर उठें, तो सबसे पहले वज़ू करें।
- उसके बाद नमाज़ के लिए नियत करे जैसे हर नमाज़ मे नियत किया जाता है।
- फिर जैसे सब नमाज़ अदा की जाती उसी तरह तहज्जुद की नमाज़ पढ़ें ।
- तहज्जुद की नमाज में पढ़ने वाली सुरह कोई खास सुरह नहीं है ।
- हमे चाहिए की इस नमाज़ की रकात मे लंबी-लंबी सूरह पढे़।
Note:- तहज्जुद नमाज़ के हर रिकात में सूरह फातिहा के बाद तीन बार सूरह इखलास पढ़ सकते हैं इस तरह हर रिकात में कुरान पुरा पढ़ने का सवाब मिलेगा ऐसा करना भी बेहतर है। वैसे तहज्जुद में सूरह फातिहा के बाद कोई सी भी सुरह पढ़ सकते हैं जैसे की सब नमाज़ पढ़ी जाती है।
कुछ ज़रूरी बात – अगर आपको यक़ीन हो की आप तहज्जुद के लिए उठेगें, तो आप ईशा के वित्र की नमाज़ को छोड़ सकते हैं उस हालत में, तहज्जुद के साथ आखिर में वित्र पढ़ेगें। यदि आपका रात में उठना तय नहीं हैं, तो ईशा की नमाज़ के साथ वित्र का पढ़ लेना बेहतर है।
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Tahajjud ki Namaz Kitni rakat hoti hai ?
तहज्जुद की नमाज कम से कम चार और औसतन आठ और ज्यादा से ज्यादा बारह रकात पढ़ी जाती है , लेकिन अगर यह न हो सके तो कम से कम दो रकात ही पढ़ लेना चाहिए ।
मसअला
अगर कोई शख्स तहज्जुद की नमाज पढ़ रहा हो और इसी दौरान फज्र की अज़ान हो जाये या किसी और तरह से ये पता चले कि सुबह सादिक हो गई है तो ऐसी सूरत में अपनी नमाज़ पूरी कर ले ।
रिवायत एक
अबू हुरैरा (रजि.) से रिवायत है कि नबी (स.अ.व) ने इर्शाद फरमाया ; फर्ज़ की नमाज के बाद सबसे अफजल नमाज दरमियान रात वाली नमाज है ।
रिवायत दो
रिवायत है अबू हुरैरा (रजि.) से कि नबी (स.अ.व) ने फरमाया ; खुदा तआला हर रात को जिस वक्त आखिरी तिहाई रात बाकी रह जाती है । आसमाने दुनिया की तरफ नाजिल होता है और फरमाता है ; कौन है जो मुझ से दुआ करे ताकि मैं उसकी दुआ कुबूल करूं । कौन है जो मुझसे मांगे ताकि मैं उसे अता करूं । कौन है जो मुझसे बख्शिश चाहे ताकि मैं उसे बख्श दूं । [ बुखारी व मुस्लिम ]
Tahajjud ki namaz me kya padhna chahiye ?
अबू हुरैरा (रजि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व.) रात की नमाज़ में कभी कभी बुलंद आवाज से कुरान पढ़ा करते थे । और कभी-कभी धीरे से भी पढ़ा करते थे ।
[ नोट : कुछ बुज़ुर्गान-ए-दीन तहज्जुद की नमाज़ में सूरह यासीन को आठ रकात में बाँट कर पढ़ते थे । अगर हो सके तो ऐसा करना चाहिए वरना जो भी सूरह याद हो उसे आप पढ़ सकते हैं । ]
Tahajjud Ki Namaz Aur Neend
कोई शख्स तहज्जुद की नमाज़ पढ़ रहा हो लेकिन उस पर नींद तारी हो तो उस के लिए सो जाना बेहतर है ।
हदीस में आता है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने फ़रमाया ; जब तुम में से किसी को नमाज़ में नींद आ जाये तो वो सो जाए जब तक कि उसकी नींद न चली जाए , क्यूंकि जब नमाज़ पढ़ते वक़्त नींद आ रही हो , तो हो सकता है कि इस्तिग्फार के बजाये वो अपने आप को गालियाँ दे रहा हो ।
तहज्जुद के लिए कैसे उठें ?
- सूरह कहफ़ की आखिरी पांच आयात "इन्नल लज़ीना से लेकर आखिर तक" सोते वक़्त पढ़ लेने से उसकी हिफाज़त होगी और वो रात में जब चाहेगा उठ जाएगा ।
- सूरह ज़िल्ज़ाल तीन मरतबा पढ़ कर सो जाने से आदमी जब चाहे उठ सकता है किसी के जगाने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी ।
क्या तहज्जुद का बदल किसी और अमल में है ?
दोस्तों , कुछ लोग ये पूछते हैं कि क्या तहज्जुद का बदल किसी दूसरे अमल में है ? तो फिर मैं आप से ही ये पूछ रहा हूं ; क्या रात के तिहाई हिस्से में उठ कर अल्लाह को याद करने का बदल हो सकता है ?
लेकिन कुछ चीज़ें मन्कूल हैं जिसे अगर इख्तियार किया जाए तो तहज्जुद की नमाज का सवाब मिल सकता है । वो चीजें ये हैं :
- रात में सोते वक़्त सूरह बकरा की आखिरी दो आयात पढ़ कर सोना तहज्जुद का बदल है ।
- तहज्जुद की नमाज छूट जाने पर जुहर से पहले या चाश्त के वक़्त चार रकात पढ़ ले तो भी तहज्जुद का सवाब मिलेगा ।
Conclusion
दोस्तों , उम्मीद है कि आपको Tahajjud Ki Namaz ka Tarika के बारे में ये पोस्ट जरूर पसन्द आया होगा । इसकी Fazilat पर अम्ल जरूर करें । और इसें अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें । मैं आपसे फिर मिलूंगा अगली Post में तबतक के लिए …… अल्लाह हाफिज़ !