Ishraq Ki Namaz Ka Tarika in Hindi - ईशराक की नियत और दुआ हिन्दी में |
Ishraq Ki Namaz Ka Tarika in Hindi
प्यारे दोस्तों, आज मैं आपको इशराक की नमाज का तरीका (Ishraq Ki Namaz Ka Tarika), इसकी नियत (Niyat), वक्त (Time) और फजीलत (Fazilat) के बारे में बताने जा रहा हूँ । इसीलिए आपसे गुजारिश है कि इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़ें ताकि आपको सब कुछ आसानी से समझ में आ सके ।
Ishraq Ki Namaz
इशराक की नमाज़ का वक्त (Time) तब है, जब सुबह के वक्त सूरज हल्का सा तुलू हो जाए या सूरज की हल्की सी रोशनी अस्मान पर छा जाए तो ये वक्त इशराक की नमाज के लिए बेहतरीन वक्त होता है।
इशराक की नमाज का वक्त सूरज के उगने के 15 मिनट बाद से दिन के एक चौथाई हिस्से तक रहता है । (उदाहरण : सुबह 6:45 बजे से दोपहर 9:11 बजे तक) । इस नमाज की बहुत ज्यादा फजीलत है । जहां तक मुमकिन हो, इसे छोड़ना नहीं चाहिए । जो आयतें या सूरह याद हो, वही पढ़ना चाहिए । किसी खास सूरह को ही पढ़ना जरूरी नहीं है ।
बारिश के मौसम में अगर सूरज दिखाई न दे तो मुहल्ले की मस्जिद या फिर इंटरनेट के ज़रिये सूरज निकलने का वक्त मालूम करके इशराक की नमाज पढ़ लें, जितने बजे सूरज निकलने का वक्त हो, उससे करीब 15 या 20 मिनट बाद आप नमाज पढ़ सकते हैं ।
इशराक की नमाज़ में रकात सिर्फ दो होती हैं , लेकिन इनकी फजीलत बहुत ज्यादा है । हजरत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि जो शख्स इस नमाज की पाबन्दी एख्तियार कर लेता है उसके सग़ीरा गुनाह माफ कर दिये जाते हैं ।
ईशराक की फजीलत का वाकिया
एक बार हुजूर पाक (ﷺ) ने सहाबा एकराम को एक ग़ज़वा (जंग) की मुहिम पर भेजा । और वो सहाबा बहुत जल्द ही कामयाब होकर बहुत सा माल-ए-ग़नीमत लेकर वापस आ गए । इस पर सहाबा एकराम ने ताज्जुब किया और फरमाया : या रसूल्लुल्लाह (ﷺ) क्या ऐसा लश्कर और भी कहीं होगा जो इतनी जल्दी कामयाब होकर और माल-ए-ग़नीमत लेकर जल्दी लौट आए ?
हुजूर पाक (ﷺ) ने फरमाया : क्या मैं उस शख्स के बारे में न बताऊं जो इस से भी जल्दी वापस आ जाए और इस से भी ज्यादा माल-ए-ग़नीमत लेकर आया हो ? इस के बाद आप (ﷺ) ने फरमाया कि ; ऐसा शख्स जो सुबह फ़जर की नमाज़ के लिए मस्जिद जाए और नमाज़ अदा करने के बाद सूरज के तुलू होने का इंतजार करे और फिर नमाज़-ए-इशराक की नफ़्ल पढ़े तो वो शख्स बहुत जल्दी वापस भी आया और बहुत सा माल-ए-ग़नीमत भी ले आया ।
Ishraq Ki Niyat kaise karein - ईशराक नमाज की नियत
ईशराक नफ्ल नमाज़ है इसलिए इशराक की नमाज पढ़ने के लिए दो रकात नफ्ल नमाज़ (इशराक) की नियत करें । ठीक वैसे ही जैसे आप दूसरे नमाज़ों की नियत करते हैं ।
Ishraq Ki Namaz Padhne Ka Tarika
दोस्तों, Ishraq Ki Namaz का कोई खास तरीका नहीं है, इस नमाज को ठीक वैसे ही पढ़ना चाहिए जैसे आप नफ्ल नमाज पढ़ते हैं । सिर्फ नियत का फ़र्क है । इसमें आपको इशराक की नमाज की नियत करनी है । और दो-दो रकातें करके नमाज पढ़नी है ।
इशराक की नमाज में कितनी रकात होती है ?
इशराक की नमाज कम से कम चार और ज्यादा से ज्यादा आठ रकात पढ़ी जाती है , लेकिन अगर यह न हो सके तो कम से कम दो रकात ही पढ़ लेना चाहिए ।
हज़रत अबूज़र गफ्फारी (रज़ि.) से मनकूल है कि आप (ﷺ) ने फरमाया : इंसान के जिस्म में 360 जोड़ हैं । और हर जोड़ के बदले इंसान को खुद को जहन्नम के आग से बचाने के लिए दिन में 360 नेकियां करनी चाहिए ।
आप (ﷺ) ने बताया कि "सुब्हानअल्लाह" कहना भी नेकी है , "अल्हम्दुलिल्लाह" कहना भी नेकी है और "अल्लाहू अकबर" कहना भी नेकी है । यहां तक कि , नेकी का हुक्म देना भी नेकी है ।
और इस के बाद आप (ﷺ) ने फरमाया कि इसके अलावा 2 रकात नमाज़ भी काफी हो सकती है जो इशराक के वक्त अदा की जाए ।
Conclusion
दोस्तों, उम्मीद है कि आपको Ishraq Ki Namaz के बारे में ये पोस्ट जरूर पसन्द आया होगा । इसकी Fazilat पर अम्ल जरूर करें । और इसें अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें । मैं आपसे फिर मिलूंगा अगली post में तबतक के लिए …… अल्लाह हाफिज़ !
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