Surah Muzammil in Hindi Text
सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) कुरान पाक की 67 वीं सूरह है । इसमें 20 आयतें हैं । यह सूरह मक्का में नाजिल हुई थी और यह कुरान पाक के 29 वें पारे में है । सूरह मुजम्मिल में कुल 2 रुकू हैं ।
क्रं.सं. | सवाल | जवाब |
---|---|---|
01 | नाजिल होने की जगह | मक्का |
02 | दूसरे नाम | Bundled Up, Cloaked, The Mantled One, The Enwrapped One |
03 | पारा संख्या | 29 वां |
04 | रूकू की संख्या | 2 |
05 | आयतों की संख्या | 20 |
06 | शब्दों की संख्या | 200 |
07 | अक्षरों की संख्या | 854 |
दोस्तों आज मैं आपको Surah Muzammil Hindi Mein बताने जा रहा हूं । साथ ही साथ इस पोस्ट में आप Surah Muzammil Ka Hindi Transliteration और Surah Muzammil Ki Fazilat in Hindi भी जानेंगे ।
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Surah Muzammil in Hindi Mein
- या अय्युहल मुज्जम्मिल
- क़ुमिल लैला इल्ला क़लीला
- निस्फहू अविन क़ुस मिन्हु क़लीला
- अव्ज़िद अलैहि वरत तिलिल कुरआन तरतीला
- इन्ना सनुल्की अलैका कौलन सक़ीला
- इन्न नाशिअतल लैलि हिया अशद्दु वत अव वअक्वमु कीला
- इन्ना लका फिन नहारि सबहन तवीला
- वज कुरिस्मा रब्बिका व तबत तल इलैहि तब्तीला
- रब्बुल मशरिकि वल मगरिबि ला इलाहा इल्ला हुवा फत तखिज्हू वकीला
- वसबिर अला मा यकूलूना वह्जुर हुम हजरन जमीला
- वज़रनी वल मुकज्ज़िबीना उलिन नअ,मति वमह हिल्हुम क़लीला
- इन्ना लदैना अन्कालव वजहीमा
- व तआमन ज़ा गुस्सतिव व अज़ाबन अलीमा
- यौमा तरजुफुल अरजु वल जिबालु व कानतिल जिबालु कसीबम महीला
- इन्ना अरसलना इलैकुम रसूला शाहिदन अलैकुम कमा अरसलना इला फ़िरऔना रसूला
- फ़असा फ़िरऔनुर रसूला फ़अख्ज्नाहू अख्ज़व वबीला
- फ़कैफ़ा तत तकूना इन कफरतुम यौमय यजअलुल विल्दाना शीबा
- अस समाउ मुन्फतिरुम बिह कान वअदुहू मफ़ऊला
- इन्ना हाज़िही तज्किरह फ़मन शाअत तखज़ा इला रब्बिही सबीला
- इन्ना रब्बका यअलमु अन्नका तकूमु अदना मिन सुलुसयिल लैलि व निस्फहू व सुलुसहू व ताइफतुम मिनल लज़ीना मअक वल्लाहु युक़द्दिरुल लैला वन नहार अलिमा अल लन तुह्सूहू फताबा अलैकुम फकरऊ मा तयस सरा मिनल कुरआन अलिमा अन सयकूनु मिन्कुम मरजा व आखरूना यजरिबूना फ़िल अरज़ि यब्तगूना मिन फजलिल लाहि व आख़रूना युकातिलूना फ़ी सबीलिल लाहि फकरऊ मा तयस सरा मिनहु व अक़ीमुस सलाता व आतुज़ ज़काता व अकरिजुल लाहा करजन हसना वमा तुक़ददिमू लि अन्फुसिकुम मिन खैरिन तजिदूहू इन्दल लाहि हुवा खैरव व अ’अज़मा अजरा वस ताग्फिरुल लाह इन्नल लाहा गफूरुर रहीम
Surah Muzammil ka Hindi Transliteration
- ऐ (मेरे) चादर लपेटे रसूल
- रात को (नमाज़ के वास्ते) खड़े रहो मगर (पूरी रात नहीं)
- थोड़ी रात या आधी रात या इससे भी कुछ कम कर दो या उससे कुछ बढ़ा दो
- और क़ुरान को बाक़ायदा ठहर ठहर कर पढ़ा करो
- हम अनक़रीब तुम पर एक भारी हुक्म नाज़िल करेंगे इसमें शक़ नहीं कि रात को उठना
- ख़ूब (नफ्स का) पामाल करना और बहुत ठिकाने से ज़िक्र का वक्त है
- दिन को तो तुम्हारे बहुत बड़े बड़े अशग़ाल हैं
- तो तुम अपने परवरदिगार के नाम का ज़िक्र करो और सबसे टूट कर उसी के हो रहो
- (वही) मशरिक और मग़रिब का मालिक है उसके सिवा कोई माबूद नहीं तो तुम उसी को कारसाज़ बनाओ
- और जो कुछ लोग बका करते हैं उस पर सब्र करो और उनसे बा उनवाने शाएस्ता अलग थलग रहो
- और मुझे उन झुठलाने वालों से जो दौलतमन्द हैं समझ लेने दो और उनको थोड़ी सी मोहलत दे दो
- बेशक हमारे पास बेड़ियाँ (भी) हैं और जलाने वाली आग (भी)
- और गले में फँसने वाला खाना (भी) और दुख देने वाला अज़ाब (भी)
- जिस दिन ज़मीन और पहाड़ लरज़ने लगेंगे और पहाड़ रेत के टीले से भुर भुरे हो जाएँगे
- (ऐ मक्का वालों) हमने तुम्हारे पास (उसी तरह) एक रसूल (मोहम्मद) को भेजा जो तुम्हारे मामले में गवाही दे जिस तरह फिरऔन के पास एक रसूल (मूसा) को भेजा था
- तो फिरऔन ने उस रसूल की नाफ़रमानी की तो हमने भी (उसकी सज़ा में) उसको बहुत सख्त पकड़ा
- तो अगर तुम भी न मानोगे तो उस दिन (के अज़ाब) से क्यों कर बचोगे जो बच्चों को बूढ़ा बना देगा
- जिस दिन आसमान फट पड़ेगा (ये) उसका वायदा पूरा होकर रहेगा
- बेशक ये नसीहत है तो जो शख़्श चाहे अपने परवरदिगार की राह एख्तेयार करे ।
- (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार चाहता है कि तुम और तुम्हारे चन्द साथ के लोग (कभी) दो तिहाई रात के करीब और (कभी) आधी रात और (कभी) तिहाई रात (नमाज़ में) खड़े रहते हो और ख़ुदा ही रात और दिन का अच्छी तरह अन्दाज़ा कर सकता है उसे मालूम है कि तुम लोग उस पर पूरी तरह से हावी नहीं हो सकते तो उसने तुम पर मेहरबानी की तो जितना आसानी से हो सके उतना (नमाज़ में) क़ुरान पढ़ लिया करो और वह जानता है कि अनक़रीब तुममें से बाज़ बीमार हो जाएँगे और बाज़ ख़ुदा के फ़ज़ल की तलाश में रूए ज़मीन पर सफर एख्तेयार करेंगे और कुछ लोग ख़ुदा की राह में जेहाद करेंगे तो जितना तुम आसानी से हो सके पढ़ लिया करो और नमाज़ पाबन्दी से पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा को कर्ज़े हसना दो और जो नेक अमल अपने वास्ते (ख़ुदा के सामने) पेश करोगे उसको ख़ुदा के हाँ बेहतर और सिले में बुर्ज़ुग तर पाओगे और ख़ुदा से मग़फेरत की दुआ माँगो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है ।
Surah Muzammil Ki Fazilat in Hindi
वैसे तो कुरान शरीफ का हर हर्फ और हर सूरह बा बरकत वाली है और अपना एक मुकाम रखती है , लेकिन Surah Muzammil को अल्लाह के रसूल (स.अ.व) से बहुत निस्बत है और इसके फायदे व बरकात बेशुमार हैं । Surah Muzammil Ki Fazilat in Hindi Mein ये हैं :
- सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) की रोजाना तिलावत करने वाला हुजूर पाक (स.अ.व) की जियारत से मुशर्रफ होगा और उसकी तमाम दुनियावी हाजत और दूआएं कबूल होंगी । साथ ही साथ उसे दुनिया में बाइज्जत मुकाम मिलेगा ।
- अगर कोई शख्स ये चाहे कि उस के रिज़्क में बरकत और कुशादगी हो तो वो उस व्यक्ति को रोजाना सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) की तिलावत करनी चाहिए ।
- अगर कोई शख्स बीमार है और ये चाहता है कि उसे बिमारियों से निजात मिले और उसकी सेहत अच्छी हो , तो उसे चाहिए कि हर रोज़ सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) की तिलावत करे और पानी पर दम करके पी ले । इंशाअल्लाह बहुत जल्द उसे अच्छी सेहत अता होगी ।
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Surah Muzammil (सूरह मुजम्मिल) Ke Benefit's
सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) कुरान के सबसे फायदेमंद सूरतों में से एक है । सूरह मुजम्मिल को याद करने और रोजाना इसकी तिलावत करने के बहुत से फायदे हैं । इमाम जाफर सादिक (अ.स) ने पांच बड़े फजीलतों को बयान किया है :-
- जो शख्स सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) को पूरी लगन और दिल से तिलावत करेगा उसे हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) की जियारत नसीब होगी ।
- उन्होंने यह भी कहा है कि जो शख्स सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) की तिलावत रोजाना करता है वो शैतानी हरकतों से और किसी का गुलाम होने से महफूज़ रहेगा ।
- सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) को जुमेरात (बृहस्पति) की रात को 100 बार पढ़ने से पढ़ने वाले के 100 बड़े गुनाह माफ कर दिए जाते हैं ।
- सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) कठिन समय में अपने पढ़ने वाले की हिफाजत करता है और उसे सही रास्ता दिखाता है ।
- उन्होंने आगे लिखा है , कि लोगों की दुआओं का हमेशा जवाब दिया जाएगा , अगर वो रोजाना सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) की तिलावत करता है तो ।
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सूरह मुजम्मिल के फायदे/फजीलत इन हिन्दी
- ईशा की नमाज़ के बाद या तहज्जुद के बाद सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) की तिलावत करने वाले को एक खुशगवार और पाक दिल मिलता है । यदि उस समय उसकी मौत भी हो जाती है तो भी वह पाकीज़ा हालत में ही रहेगा।
- दिमागी बिमारियों से उसकी हिफाजत होगी । और उसका मन खुश रहेगा ।
- अपने रिज्क के बढ़ोतरी के लिए इस सूरह की तिलावत रोजाना करने की कोशिश करें ।
- सूरह अल मुज़म्मिल (Surah Muzammil) की तिलावत करने और याद करने से न केवल दुनिया में बल्कि आखिरत में भी फायदे मिलेंगे ।
Surah Muzammil PDF Download
People Also Ask
सूरह मुजम्मिल कौन से पारे में है ?
सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) कुरान पाक की 67 वीं सूरह है । और यह कुरान पाक के 29 वें पारे में है ।
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सूरह मुजम्मिल की फजीलत | Surah Muzammil ki fazilat
हज़रत इमाम जाफर सादिक़ (अ.स.) फरमाते हैं कि जो शख्स ईशा की नमाज में या आखिरी शब में सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) पढ़ेगा तो ये सूरह इसके नेक अफआल का शाहिद होगा और अल्लाह के नज़दीक इसकी गवाही देगा और खुदा तआला इसे निहायत पाकीज़ा ज़िन्दगी और अच्छी मौत से नवाज़ेगा ।
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सूरह मुजम्मिल का अमल
सूरह मुजम्मिल (Surah Muzammil) में कुल 20 आयतें है और इसकी हर आयत बेहद खूबसूरत है। इसे पढ़ते समय आपको बेहद सुकून मिलेगा और आप खुद को अल्लाह तआला के करीब महसूस करेंगे । कई बार शादी-ब्याह के मामलों में भी कुछ लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। अक्सर ऐसा होता है कि काफी लंबे वक्त के बाद भी उन्हें एक अच्छा रिश्ता नहीं मिलता। ऐसे में सूरह मुजम्मिल का अमल फायदेमंद है ।