इर्शाद-ए-नबवी हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व)
हजरत अनस (रज़ि) से रिवायत है कि आप (स.अ.व) ने फरमाया - “कयामत के दिन औरतों से सबसे पहले नमाज के मुतअल्लिक सवाल किया जाएगा, कि पाबन्दी के साथ वक्त पर अदा किया था या नहीं ? फिर शौहर के मुतअल्लिक सवाल किया जाएगा, कि उस के साथ कैसा बर्ताव किया था ?”
इस हदीस के फायदे में लिखते हैं कि - हश्र का मैदान जो कल्ब-व-जिगर को पिघला देने वाला होगा । उसमें आम मुसलमानों से चाहे वह मर्द हो या औरत, सबसे पहला सवाल नमाज के मुतअल्लिक होगा ।
हजरत अनस (रज़ि.) से मरवी है कि आप (स.अ.व) ने फरमाया - “कयामत में सबसे पहला हिसाब नमाज का होगा । अगर ये सही निकला तो दूसरे आमाल भी सही निकलेंगे । और अगर इसमें गड़बड़ी हुई तो दूसरे आमाल भी गड़बड़ ही होंगे ।
औरतें अकसर नमाज में भी कोताही करती हैं । नई उमर की जवान औरतें अकसर बहाने बनाती हैं । जैसे : बच्चे का पेशाब कपड़े में लगा था वगैरह वगैरह ।
लेकिन अफसोस है ! कि ये बहाने कयामत में नहीं चलेंगे । जब सजा मिलेगी तब पता चल जाएगा । इसीलिए औरतों को चाहिए की पाबंदी करें । घर की औरतों को चाहिए की बच्चे छोटी उमर से ही नमाज की पाबन्द हों । शुरू उम्र की पाबन्दी का असर पूरी उम्र तक बाकी रहता है । फराईज़-ए-शरिया के मुताबिक औरतों से उसके शौहर के हुकूक और उनके खिदमत के बारे में सवाल होगा । आजकल के दौर की वो औरतें जो नौकरियां करती हैं । वो ज्यादातर शौहर की खिदमत में कोताह होती हैं । हत्ता कि ऐसी औरतों से खाने तक की सहूलत नहीं मिलती । ऐसी कोताही कल कयामत में काबिल-ए-गिरफ्त होगी ।
आखिर में अल्लाह तआला से दुआ है कि अल्लाह पाक हम सबको इस हदीस को समझने और इसपर अम्ल करने की तौफीक अता फरमाए । आमीन !
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