हिन्दु धर्म की किताबों में हजरत मुहम्मद (ﷺ) का उल्लेख
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको एक बेहद ही खास जानकारी देने वाले हैं । आज इस्लाम और मुसलमानों के प्रति पूरी दुनिया में नफरत बाँटी जा रही है । लोग तरह तरह के झूठी अफवाहें फैला कर इस्लाम को बदनाम करने की नाकाम साजिशें कर रहें हैं । ऐसे में हमारा फर्ज़ है कि आपको उस सच्चाई से रू-ब-रू कराएँ जिसे आजतक आपने नहीं जाना होगा ।
आज हम आपको सबूत के साथ यह बताएँगे कि हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) का जिक्र दूसरे मजहबों की किताबों में है या नहीं । तो इस पोस्ट को आखिर तक पढ़िए । और शेयर कीजिए ।
कुरआन की एक आयत में अल्लाह (खुदा) ने फरमाया है —
‘‘कोई क़ौम ऐसी नहीं गुजरी, जिसमें कोई सावधान करने वाला न आया हो।’’ (35: 24)
लगभग हर धर्म की किताबों में इसी तरह के संदेश दिए गए हैं, और मज़हबी किताबों को गहराई और गौर से समझने पर पता चलता है कि सभी मज़हब एक ही जड़ से जुड़े हुए हैं । अलग-अलग देश, काल, भाषा, जाति और समाज के वजह से उनमें इतना बदलाव आ गया कि हर मज़हब एक-दूसरे से अलग नज़र आता है । इस पर एक नज़र डालते हैं :
दुनिया का हर धर्म खुदा (ईश्वर) के एक आखिरी दूत (पैगंबर) के धरती पर पैदा होने कि भविष्यवाणी करता है :—
हिन्दू मज़हबी किताबों में 'कल्कि अवतार' और 'नरासंश' के पैदा होने की भविष्यवाणियां की गयी हैं तो बौध धर्म में 'मैत्रेई बुद्ध' के पैदा होने का उल्लेख किया गया है । इसाई धर्म और यहूदी धर्म कि पुस्तकों में भी लगभग ऐसी ही भविष्यवानियां कि गयी हैं ।
पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) का वेदों और पुराणों में उल्लेख
वेदों के अनुसार उष्ट्रारोही का नाम ‘नराशंस’ होगा। ‘नराशंस’ का अरबी अनुवाद ‘मुहम्मद’ होता है।
यही नहीं, हिन्दु धर्मग्रंथों में जिस 'कल्कि अवतार' का जिक्र है उस का अरबी अनुवाद भी मुहम्मद है ।
हिन्दु धर्मग्रंथों की कुछ पंक्तियां
नराशंस: यो नरै: प्रशस्यते। (सायण भाष्य, ऋग्वेद संहिता, 5/5/2)।
मूल मंत्र इस तरह का है —
‘‘नराशंस: सुषूदतीमं यज्ञामदाभ्यः ।
कविर्हि ऋग्वेद में भी कहा गया है —
‘अहमिद्धि पितुष्परि मेधामृतस्य जग्रभ। अहं सूर्य इवाजनि।।’
सामवेद में भी है —
‘आहमिधि पितुः परिमेधामृतस्य जग्रभ। अहं सूर्य इवाजनि।। (सामवेद प्र. 2 द. 6 मं. 8)
अर्थ : अहमद ने अपने ईश्वर से हिकमत से भरी जीवन व्यवस्था को हासिल किया। मैं सूरज की तरह रौशन हो रहा हूं।’
[ नोट : पवित्र कुरान के मुताबिक पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) का दूसरा नाम 'अहमद' था ।]
अथर्ववेद की एक अन्य पंक्ति
उष्ट्रा यस्य प्रवाहिणो वधूमन्तों द्विर्दश। वर्ष्मा रथस्य नि जिहीडते दिव ईषमाण उपस्पृशः।
(अथर्ववेद कुन्ताप सूक्त 20/127/2)
अर्थ : जिसकी सवारी में दो खूबसूरत ऊंटनियां हैं । या तो अपनी बारह पत्नियों समेत ऊंटों पर सवारी करता है उसकी शान और इज़्ज़त अपनी तेज़ रफ्तार से आसमान को छूकर नीचे उतरती हुई प्रतीत होती है ।
आपको बता दें कि पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) ऊंट की सवारी किया करते थे । और अपने लिए ख़ास तौर पर दो ऊंटनियाँ रखते थे जिसका जिक्र पुराणों में भी किया गया है । और यह भी बेहद हैरान करने वाली बात है कि हकीकत में हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) की बारह बीवियाँ थीं जिसका जिक्र हिन्दु धर्मग्रंथों में किया गया है ।
हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) की बीवियों के नाम :—
- हज़रत ख़दीजा (रज़ि)
- हज़रत सौदा (रजि.)
- हज़रत आइशा (रजि.)
- हज़रत हफ़्सा (रजि.)
- हज़रत उम्मे सलमा (सल्ल.)
- हज़रत उम्मे हबीब (रजि.)
- हज़रत ज़ैनब बिन्त जहश (रजि.)
- हज़रत ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा (रजि.)
- हज़रत जुवैरिया (रजि.)
- हजरत सफ़ीया (रजि.)
- हज़रत रैहाना (रजि.) और
- हज़रत मैमूना (रजि.)
भविष्य पुराण में कहा गया है —
शालिवाहन (सात वाहन) वंशी राजा भोज दिग्विजय करता हुआ समुद्र पार पहुंचेगा । इसी दौरान (उच्च कोटि के) आचार्य शिष्यों से घिरे हुए महामद नाम से विख्यात (सुप्रसिद्ध) आचार्य को देखेगा ।
संदर्भ : [ प्रतिसर्ग पर्व 3, अध्याय 3, खंड 3, कलियुगीतिहास समुच्चय ]
आपको बता दें कि यहाँ पर समुद्र पार का मतलब 'अरब' मुल्क से है और 'महामद' का मतलब हजरत मुहम्मद (ﷺ) से है ।
भविष्य पुराण में ही कहा गया है —
लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी स दूषकः। उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनो मम। 25। विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मता मम। मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति। 26।। तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः। इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः । 27 ।।
संदर्भ : (भ.पु. पर्व 3, खण्ड 3, अध्याय 1, श्लोक 25, 26, 27)
अर्थ : (भविष्य में) 'हमारे लोगों का ख़तना होगा । वे शिखाहीन होंगे । वे दाढ़ी रखेंगे । ऊंचे स्वर में आलाप करेंगे । शाकाहारी मांसाहारी (दोनों) होंगे लेकिन उनके लिए मंत्रों से पवित्र किए बिना कोई पशु भक्ष्य (खाने योग्य) नहीं होगा । इस प्रकार हमारे मत के अनुसार हमारे अनुयायियों का मुस्लिम संस्कार होगा । उन्हीं से मुसलवन्त यानी निष्ठावानों का धर्म फैलेगा और ऐसा मेरे कहने से पैशाच धर्म का अंत होगा।’ अर्थात उनके सर पर 'बालों की छोटी/चुटिया' नहीं होगी,अर्थात वे सनातन हिन्दू धर्म की मान्यताओं से अलग....... शिखाहीन होंगे ।
इसे गहराई से समझने पर आप पाएँगे कि इन सभी बातों का सीधा-सीधा मतलब इस्लाम से है :—
- इस्लाम में खतना किया जाता है ।
- मुसलमान दाढ़ी रखते हैं ।
- यहाँ पर उंचे स्वर में आलाप करने का मतलब 'अज़ान देने' से है । बाकी किसी भी धर्म के अनुयायी नियमित रुप से उंचे स्वर में आलाप नहीं करते ।
- मुसलमान कोई भी खाना खाने से पहले दुआ (मंत्र) जरूर पढ़ते हैं । और इस्लाम में सिर्फ 'हलाल' मांस ही खाने के लिए कहा गया है ।
- साथ ही यहाँ पर इस्लाम धर्म के फैलने और लोगों के मुसलमान बनने को भी बताया गया है ।
पुराण में स्पष्ट तौर पर कहा गया है —
एक दूसरे देश में एक आचार्य अपने मित्रों के साथ आएंगे। उनका नाम महामद होगा। वे रेगिस्तानी क्षेत्र में आएंगे। (महामद = मुहम्मद )
संदर्भ : ( एतस्मिन्नन्तिरे म्लेच्छ आचाय्र्येण समन्वितः।। महामद इति ख्यातः शिष्यशाखा समन्वितः।। )
इस अध्याय का श्लोक 6,7,8 भी हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) के बारे में है।
नागेंद्र नाथ बसु द्वारा संपादित विश्वकोष के द्वितीय खण्ड में उपनिषदों के कुछ श्लोक दिए गए हैं जिसका एक खास मतलब निकलता है :—
- अस्माल्लां इल्ले मित्रावरुणा दिव्यानि धत्त इल्लल्ले वरुणो राजा पुनर्दुदः।
- हयामित्रो इल्लां इल्लां वरुणो मित्रास्तेजस्कामः ।। 1
- ।। होतारमिन्द्रो होतारमिन्द्र महासुरिन्द्राः।
- अल्लो ज्येष्ठं श्रेष्ठं परमं पूर्ण बह्माणं अल्लाम् ।।
- 2 ।। अल्लो रसूल महामद रकबरस्य अल्लो अल्लाम् ।।
- 3 ।। (अल्लोपनिषद 1, 2, 3)
अर्थ : ‘‘इस देवता का नाम अल्लाह है। वह एक है। मित्रा वरुण आदि उसकी विशेषताएँ हैं। वास्तव में अल्लाह वरुण है जो तमाम सृष्टि का बादशाह है। मित्रों! उस अल्लाह को अपना पूज्य समझो। यह वरुण है और एक दोस्त की तरह वह तमाम लोगों के काम संवारता है। वह इंद्र है, श्रेष्ठ इंद्र। अल्लाह सबसे बड़ा, सबसे बेहतर, सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है। मुहम्मद (सल्ल.) अल्लाह के श्रेष्ठतर रसूल हैं। अल्लाह आदि, अंत और सारे संसार का पालनहार है। तमाम अच्छे काम अल्लाह के लिए ही हैं। वास्तव में अल्लाह ही ने सूरज, चांद और सितारे पैदा किए हैं।’’
उपर के इस श्लोक में इल्ले/अल्लो शब्द का इस्तेमाल 'अल्लाह' के लिए किया गया है , जबकि 'अल्लो रसूल महामद' का इस्तेमाल 'अल्लाह के रसूल मुहम्मद' के लिए किया गया है ।
उपनिषद में आगे कहा गया है :—
फट ।। 9 ।। असुरसंहारिणी हृं द्दीं अल्लो रसूल महमदरकबरस्य अल्लो अल्लाम् इल्लल्लेति इल्लल्ला ।। 10 ।। इति अल्लोपनिषद आदल्ला बूक मेककम्। अल्लबूक निखादकम् ।। 4 ।। अलो यज्ञेन हुत हुत्वा अल्ला सूय्र्य चन्द्र सर्वनक्षत्राः ।। 5 ।। अल्लो ऋषीणां सर्व दिव्यां इन्द्राय पूर्व माया परमन्तरिक्षा ।। 6 ।। अल्लः पृथिव्या अन्तरिक्ष्ज्ञं विश्वरूपम् ।। 7 ।। इल्लांकबर इल्लांकबर इल्लां इल्लल्लेति इल्लल्लाः ।। 8 ।। ओम् अल्ला इल्लल्ला अनादि स्वरूपाय अथर्वण श्यामा हुद्दी जनान पशून सिद्धांत जलवरान् अदृष्टं कुरु कुरु ।
अर्थ : ‘‘अल्लाह ने सब ऋषि (पैगंबर) भेजे और चंद्रमा, सूर्य एवं तारों को पैदा किया। उसी ने सारे ऋषि (पैगंबर) भेजे और आकाश को पैदा किया। अल्लाह ने ब्रह्माण्ड (ज़मीन और आकाश) को बनाया। अल्लाह श्रेष्ठ है, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। वह सारे विश्व का पालनहार है। वह तमाम बुराइयों और मुसीबतों को दूर करने वाला है। मुहम्मद अल्लाह के रसूल (संदेष्टा) हैं, जो इस संसार का पालनहार है। अतः घोषणा करो कि अल्लाह एक है और उसके सिवा कोई पूज्य नहीं।’'
[ आप उपर के सारे श्लोक को देख सकते हैं इसमें अल्लाह का और मुहम्मद का नाम बार-बार आया है । ]
कल्कि पुराण में अंतिम अवतार के जन्म का भी उल्लेख किया गया है। इस पुराण के द्वितीय अध्याय के श्लोक 15 में वर्णित है –
‘‘द्वादश्यां शुक्ल पक्षस्य, माधवे मासि माधवम्। जातो ददृशतुः पुत्रं पितरौ ह्रष्टमानसौ।।
अर्थात : ‘‘जिसके जन्म लेने से दुखी मानवता का कल्याण होगा, उसका जन्म मधुमास के शुक्ल पक्ष और रबी फसल में चंद्रमा की 12 वीं तिथि को होगा।’’
एक अन्य श्लोक में है कि कल्कि अवतार शम्भल में जन्म लेंगे । उनके पिता का नाम विष्णुयश होगा । उनके माता का नाम सुमति होगा ।
संदर्भ :– (शम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः। भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।) (भागवत पुराण, द्वादश स्कंध, 2 अध्याय, 18वाँ श्लोक)
आपको बता दें कि कल्कि का अरबी तर्ज़ुमा 'मुहम्मद' होता है । विष्णयशु का मतलब होता है भगवान का दोस्त यानी अरबी में 'अब्दुल्लाह' ! जो पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के पिता का नाम था । सुमति का अरबी मतलब होता है 'अमन' । और हम जानतें हैं कि पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) की माँ का नाम आमिना था । हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) का जन्म 12 रबीउल अव्वल को हुआ। रबीउल अव्वल का अर्थ होता है : मधुमास का हर्षोल्लास का महीना। यानी मधुमास के 12 तारीख को हुआ । आप (ﷺ) मक्का में पैदा हुए ।
हिटलर की आत्मकथा 'मेन -कैम्फ' (मेरी जीवन गाथा) से साभार उद्धृत
‘‘इस धरती पर एक ही व्यक्ति सिद्धांतशास्त्री भी हो, संयोजक भी हो और नेता भी, यह दुर्लभ है। किन्तु महानता इसी में निहित है।’’ पैग़म्बरे-इस्लाम हजरत मुहम्मद के व्यक्तित्व में संसार ने इस दुर्लभतम उपलब्धि को सजीव एवं साकार देखा है ।
बास्वर्थ स्मिथ के विचार —
‘‘वे जैसे सांसारिक राजसत्ता के प्रमुख थे, वैसे ही दीनी पेशवा भी थे। मानो पोप और क़ेसर दोनों का व्यक्तित्व उन अकेले में एकीभूत हो गया था। वे सीज़र (बादशाह) भी थे पोप (धर्मगुरु) भी। वे पोप थे किन्तु पोप के आडम्बर से मुक्त। और वे ऐसे क़ेसर थे, जिनके पास राजसी ठाट-बाट, आगे-पीछे अंगरक्षक और राजमहल न थे, राजस्व-प्राप्ति की विशिष्ट व्यवस्था। यदि कोई व्यक्ति यह कहने का अधिकारी है कि उसने दैवी अधिकार से राज किया तो वे मुहम्मद ही हो सकते हैं' ।
यह भी पढ़ें : कुरान में गलतियां ढ़ूंढने वाले डच राजनेता ने अपना लिया इस्लाम ? 🔥
आखिरी बात
इस पोस्ट में हमने केवल कुछ गिने-चुने तथ्य ही आपके सामने रखे हैं । लेकिन ऐसे बहुत से श्लोक हैं जिनमें पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) का उल्लेख मिलता है । हम आपको अपनी अगली पोस्ट में कुछ और ऐसी ही जानकारी देंगे । लेकिन फिलहाल के लिए इतना ही । © Islamic Trainer 🌷