प्यारे नबी (ﷺ) के हथियार
प्यारे नबी (ﷺ) के पास 6 तलवारें थीं और उनके खास खास नाम थे। उनमें से कुछ के नाम हम यहां लिखते हैं :
आप (ﷺ) की एक तलवार का नाम मासूर, एक का नाम तबार और एक का नाम ज़ुल्फिकार था।
हजरत अनस (रज़ि.) फरमाते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) की तलवार के कब्जे की टोपी चांदी की थी।
ज़िरह
ज़िरह लोहे का एक कुर्ता होता है जिसे लड़ाईयों में बदन की हिफाजत के लिए पहना जाता है। प्यारे नबी (ﷺ) के पास 7 ज़िरहें थीं। आप (ﷺ) इन्हें ज्यादातर लड़ाई के वक्त पहनते थे। हजरत जुबैर (रज़ि.) बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) के मुबारक बदन पर उहद की लड़ाई के दिन 2 ज़िरहें थी।
ख़ोद
ख़ोद लोहे की टोपी होती है जो सिर को बचाने के लिए लड़ाईयों में ओढ़ी जाती है। प्यारे नबी (ﷺ) ने लड़ाईयों के वक्त ख़ोद भी पहना है। हजरत अनस बयान करते हैं कि जिस दिन मक्का फ़तह हुआ और प्यारे नबी (ﷺ) मक्के में दाखिल हुए तो आपके सिर पर ख़ोद था।
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प्यारे नबी (ﷺ) के मामूलात और आदतें
चलना
प्यारे नबी (ﷺ) जब चलते थे तो पांवों को घसीट-घसीट कर नहीं चलते थे, बल्कि क़ुव्वत के साथ जरा झुककर कदम उठाकर तेज चलते थे। आप (ﷺ) की रफ्तार से ऐसा मालूम होता था कि जैसे कोई ऊंचाई पर से नीचे की तरफ उतर रहा हो।
हजरत अबू हुरैरा (रज़ि.) बयान करते हैं कि मैंने प्यारे नबी (ﷺ) से ज्यादा खूबसूरत किसी को नहीं देखा। ऐसा मालूम होता था कि सूरज आपके चेहरे में चमक रहा है। मैंने आपसे तेज चलने वाला किसी को नहीं पाया। ऐसा मालूम होता था कि जमीन आपके कदमों को लिपटी चली जाती है। जब आप (ﷺ) धीरे-धीरे चलते तब भी हम आपके साथ बड़ी मुश्किल से चल पाते थे।
हजरत अली (रज़ि.) बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) जब चलते थे तो कुछ झुककर चलते थे। ऐसा मालूम होता जैसे ऊंचाई से उतर रहे हैं।
बैठना
प्यारे नबी (ﷺ) ज्यादातर दोनों घुटने खड़े करके और दोनों हाथों से उनको घेर कर बैठते थे। इसको गोट मारकर बैठना भी कहते हैं और इस तरह बैठने में इन्किसारी ज्यादा है। कभी-कभी आप (ﷺ) चार ज़ानू (आलती-पालती मारकर) भी बैठते थे।
हजरत क़ीला (रज़ि.) बयान करती हैं कि मैंने प्यारे नबी (ﷺ) को मस्जिद में गोट मारे हुए बैठे देखा (यानी दोनों घुटनों को हाथों से लपेट कर बैठे हुए थे)।
लेटना
प्यारे नबी (ﷺ) जब सोने के लिए लेटते तो ज्यादातर अपना सीधा हाथ सीधे गाल के नीचे रखते और कभी सिर्फ सीधी करवट पर लेटते। कभी सफर में ऐसा भी होता था कि आखिर रात में आप (ﷺ) ठहरते और रात थोड़ी होती तो हाथ पर टेक लगाकर सो जाते।
हजरत बरार (रज़ि.) बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) जब सोने के लिए लेटते तो अपना सीधा हाथ सीधे गाल के नीचे रखते और यह दुआ पढ़ते —
रब्बि क़िनी अज़ा-ब-क यौ-म तुबअसु इबा-दु-क ।
"ऐ अल्लाह! मुझे उस दिन, जबकि तेरे बन्दे उठाए जाएंगे, अपने अज़ाब से बचाना।"
हज़रत हुज़ैफा (रज़ि.) बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) जब बिस्तर पर लेटते तो यह दुआ पढ़ते —
अल्लाहुम्मा बि-इसमि-क अमूतू व अहया ।
"ऐ अल्लाह! मैं तेरे ही नाम से मरता हूँ (सोता हूं) और तेरे ही नाम से ज़िन्दा हूँगा (सोकर उठूंगा)।
और जब जागते तो यह दुआ पढ़ते —
अल-हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी अहयाना बअ्-द मा अमा-तना व इलैहिन्नुशूर ।
"सारी तारीफ़ उस अल्लाह के लिए है, जिसने हमें मौत देने के बाद ज़िन्दगी दी और हमें उसी की तरफ़ (कयामत में) लौटना है।"
हज़रत आइशा (रज़ि.) बयान करती है कि प्यारे नबी (ﷺ) रात को सोते वक्त जब बिस्तर पर लेटते तो दोनों हाथों को दुआ मांगने की तरह मिलाकर उन पर, सूरह अल-इख्लास (सूरह नं 112 - कुल हुव्वलाहु अहद......) + सूरह अल-फ़लक (सूरह नं 113 - कुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक......) + सूरह अन-नास (सूरह नं 114 - कुल अऊज़ु बि-रब्बिन नास.......) पढ़कर दम करते और पूरे बदन पर जहां तक हाथ पहुंचता वहां फेर लेते। तीन बार ऐसा करते, सिर से हाथ फेरना शुरू करते फिर मुंह और बदन का अगला हिस्सा, और फिर सारे बदन पर हाथ फेरते।
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हंसना
प्यारे नबी (ﷺ) कभी ठहाका मारकर नहीं हंसते थे। आपकी हंसी मुस्कुराने से ज्यादा नहीं होती थी। हजरत अब्दुल्लाह-बिन-हारीस बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) का हंसना सिर्फ मुस्कुराना होता था।
दोस्तों , आज की पोस्ट में आपने पढ़ा , "प्यारे नबी (ﷺ) की पाक जिन्दगी" सीरीज का पार्ट - 4 "प्यारे नबी (ﷺ) के हथियार, मामूलात और आदतें" ।
इस सीरीज से जुड़ी सारी पोस्ट की लिस्ट देखें : प्यारे नबी (ﷺ) की पाक जिन्दगी