पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) की जिंदगी (Biography)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू ! प्यारे दोस्तों , आपका 'प्यारे नबी (ﷺ) की पाक जिन्दगी' सीरीज के इस पार्ट - 3 में इस्तकबाल है । इस पूरी सीरीज में हम आपको हुजूर पाक (ﷺ) की मुबारक जिन्दगी के बारे में बताएंगे ।
आप इस पूरी सीरीज के सारे हिस्सों की फेहरिस्त एक बार जरूर देखें । [ नीचे लिंक है ]
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प्यारे नबी (ﷺ) का पसन्दीदा रंग, जूता, बिस्तर और साफ सफाई
بِسْمِ اَللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْم
आप (ﷺ) का पसन्दीदा रंग
प्यारे नबी (ﷺ) को हरा रंग और सफेद रंग बहुत पसन्द था ।
नापसन्दीदा रंग
प्यारे नबी (ﷺ) को लाल रंग नापसन्द था, एक बार एक आदमी प्यारे नबी (ﷺ) के पास लाल रंग के कपड़े पहन कर आया । आप (ﷺ) ने उसे पसन्द नहीं किया ।
एक बार सहाबा (रज़ि.) ने सवारी के उंटों पर लाल चादरें डाल दीं ! आप (ﷺ) ने परमाया ; "मुझे यह पसन्द नहीं कि यह रंग तुम पर छा जाए ।"
रेशमी कपड़े
प्यारे नबी (ﷺ) ने अपने उम्मत के मर्दों को रेशमी कपड़े पहनने से मना फरमाया ।
हज़रत अली (रज़ि.) बयान करते हैं कि मैंने एक बार प्यारे नबी (ﷺ) को देखा कि आप (ﷺ) के सीधे हाथ में रेशम और बांये हाथ में सोना है , और फरमा रहे हैं कि मेरी उम्मत के मर्दों पर अल्लाह ने इन दो चीजों के पहनने को हराम फरमाया है ।
बारीक कपड़े
मर्दों और औरतों को प्यारे नबी (ﷺ) ने ऐसे बारीक कपड़े पहनने से मना फरमाया है जिससे बदन के वे हिस्से दिखाई दें जिनका छिपाना शरीयत में फर्ज़ है ।
प्यारे नबी (ﷺ) ने फरमाया कि बहुत सी कपड़े पहनने वालियां हकीकत में नंगी ही रहती हैं । ( यह उन औरतों के तरफ इशारा है जो ऐसे बारीक कपड़े पहनती हैं जिससे बदन दिखाई देता है )
इसी तरह प्यारे नबी (ﷺ) ने ऐसे कपड़ों को पहनने से भी मना फरमाया है जिससे बदन के वे हिस्से न छिप सकें जिनका छिपाना जरूरी है ।
एक बार हजरत असमा (रज़ि.) बारीक कपड़े पहनकर आप (ﷺ) के पास आईं । आप (ﷺ) ने मुंह फेर लिया ।
इन हदीसों से ये मालूम होता है कि आप (ﷺ) ने औरतों को ऐसे कपड़े पहनने का हुक्म दिया है जिसमें किसी तरह की बेपर्दगी न हो ।
साफ सफाई
प्यारे नबी (ﷺ) को सफाई और पाकीज़गी बेहद पसन्द थी । एक बार प्यारे नबी (ﷺ) ने एक आदमी को मैले कपड़े पहने हुए देखा तो फरमाया , "इससे इतना नहीं होता कि यह अपने कपड़े धो लिया करे ।"
इस्लाम के शुरू जमाने में एक बार जुमे के दिन लोग मैले कपड़ों में ही जुमे की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में आए । उस वक्त मस्जिद छोटी थी । पसीना आया तो पसीने की बू सारी मस्जिद में फैल गई । आप (ﷺ) ने फरमाया, " अगर लोग नहाकर मस्जिद में आते तो अच्छा होता ।"
इस्लाम के शुरू जमाने में लोग मस्जिद के आदाब नहीं जानते थे । मस्जिद की दीवारों और मस्जिद की फर्श पर थूक दिया करते थे । आप (ﷺ) को यह बात बहुत नापसन्द थी । अगर कभी आप (ﷺ) मस्जिद की दीवार या फर्श पर थूक के धब्बे देखते तो हाथ में लकड़ी लेकर अपने हाथों से उसे खुरच कर साफ कर डालते ।
एक बार आप (ﷺ) ने मस्जिद की दीवार पर थूक का धब्बा देखा , तो आपका मुबारक चेहरा गुस्से से सुर्ख़ हो गया । तब एक अन्सारी औरत ने लकड़ी से खुरचकर इस जगह पर खुशबू मली । प्यारे नबी (ﷺ) उस से बहुत ज्यादा खुश हो गए । मस्जिद की हिफाजत के लिए आप (ﷺ) ने हुक्म दिया था कि मस्जिद में दीवाने (पागल) और छोटे-छोटे बच्चे न आएं , न ही वहां किसी तरह की खरीद-फरोख्त की जाए , और मस्जिदों में जुमे के दिन खुशबू की अंगीठियां जलाई जाएं ।
आप (ﷺ) का बिस्तर
प्यारे नबी (ﷺ) का बिस्तर कभी चमड़े का होता था , जिसमें खजूर के छिलके भरे होते थे , और कभी आप (ﷺ) टाट बिछा लेते थे । तो कभी बोरिये पर आराम फरमाते थे ।
हजरत आइशा (रज़ि.) बयान करती हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) का बिछौना चमड़े का था , जिसमें खजूर की छाल भरी हुई थी ।
हजरत हफ़्सा (रज़ि.) से किसी ने पूछा कि आप (ﷺ) के घर में उनका बिछौना कैसा था ? तो हजरत हफ़्सा (रज़ि.) ने जवाब दिया कि आप (ﷺ) का बिछौना टाट का था , जिसे हम दोहरा कर आप (ﷺ) के नीचे बिछा दिया करते थे । एक बार मुझे ख्याल हुआ कि अगर इस टाट को चार तह करके बिछाया जाए तो आप (ﷺ) को आराम मिलेगा । इसीलिए एक रात को मैंने टाट को चार तह करके बिछा दिया । सुबह को प्यारे नबी (ﷺ) ने मुझसे पूछा , " तुमने आज मेरे नीचे क्या चीज बिछाई थी ?" मैंने जवाब दिया , " वहू रोज़ाना का बिछौना था , रात मैंने इस ख्याल से कि बिस्तर ज़रा नर्म हो जाए , इसको चार तह करके बिछा दिया था ।" आप (ﷺ) ने फरमाया , " बिस्तर को ऐसे ही रहने दो , इसे चार तह करने की जरूरत नहीं है । इसकी नर्मी मुझे तहज्जुद की नमाज से रोकती है ।"
आप (ﷺ) का अंगूठी
प्यारे नबी (ﷺ) ने जब गैर-मुस्लिम बादशाहों को इस्लाम कुबूल करने के लिए ख़त लिखे । तो सहाबा (रज़ि.) ने अर्ज़ किया कि ये बादशाह बगैर मुहर के ख़त नहीं लेते । अगर आप (ﷺ) भी अपने नाम की मुहर खुदवा लें और ख़तों पर मुहर लगा कर भेजें तो अच्छा होगा । प्यारे नबी (ﷺ) ने सहाबा (रज़ि.) के इस मशवरे को कुबूल फरमा लिया और चांदी की (सोना) एक अंगूठी बनवाई जिसपर तीन लाइनों में मुहम्मद , रसूल , अल्लाह (यानी अल्लाह के रसूल मुहम्मद) खुदवाया । आप (ﷺ) सीधे हाथ में अंगूठी पहनते थे ।
हजरत अनस (रज़ि.) बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) की अंगूठी का नक्श , "मुहम्मद , रसूल , अल्लाह " था । इस तरह लिखा हुआ था कि तीनों अल्फाज़ तीन अलग-अलग लाइन में थे ।
आप (ﷺ) का जूते
प्यारे नबी (ﷺ) के जूते में एक तला था , जिसमें दो तस्मे लगे हुए थे ।
हजरत कतादा (रज़ि.) कहते हैं कि मैंने हजरत अनस से पूछा कि प्यारे नबी (ﷺ) के जूते कैसे थे ? तो आपने फरमाया कि हर जूते में दो तसमे थे ।
हजरत अबू-हुरैरा (रज़ि.) बयान करते हैं कि आप (ﷺ) ने फरमाया कि जब तुम में से कोई जूता पहने तो पहले दाएं पैर में पहने फिर बाएं पैर में पहने । और जब कोई जूता उतारे तो पहले बायां जूता उतारे , फिर दायां ।
हजरत अबू-हुरैरा (रज़ि.) बयान करते हैं कि प्यारे नबी (ﷺ) ने फरमाया , तुम में से कोई भी एक जूता पहनकर न चले , दोनों जूता पहने या फिर दोनों उतार दे ।"
मोहतरम दोस्तों , आज की पोस्ट में आपने पढ़ा , "प्यारे नबी (ﷺ) की पाक जिन्दगी" सीरीज का पार्ट - 3 "प्यारे नबी (ﷺ) का पसन्दीदा रंग, जूता, बिस्तर और साफ सफाई " ।
इस सीरीज से जुड़ी सारी पोस्ट की लिस्ट देखें : प्यारे नबी (ﷺ) की पाक जिन्दगी