रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ ये 15 अकीदे हर मुसलमान को रखना चाहिए ?
- आप (ﷺ) खुदा तआला के बन्दे , एक इन्सान और अल्लाह तआला के रसूल थे ।
- अल्लाह तआला के बाद आप (ﷺ) सारी मख़्लूक़ से अफज़ल हैं ।
- आप (ﷺ) गुनाहों से मासूम हैं ।
- आप (ﷺ) पर अल्लाह तआला ने कुरआन मज़ीद नाज़िल फरमाया ।
- आप (ﷺ) को मेराज़ की रात में अल्लाह तआला ने आसमान पर बुलाया और जन्नत और दोज़ख़ वगैरह की सैर कराई ।
- आप (ﷺ) ने अल्लाह तआला के हुक्म से बहुत से मोज़िजे (चमत्कार) दिखाए ।
- आप (ﷺ) खुदा तआला की बहुत ज्यादा इबादत करते थे ।
- आप (ﷺ) के अख़्लाक और आदात निहायत आला दरज़े के थे ।
- आप (ﷺ) को खुदा तआला ने बहुत सी गुज़री हुई और बहुत सी आने वाली बातों का इल्म अता फरमाया था, जिसकी खबर आप (ﷺ) ने अपनी उम्मत को दी ।
- आपको अल्लाह तआला ने सारी मख़्लूक़ से ज्यादा इल्म अता फरमाया था, लेकिन आप (ﷺ) आलिमुल ग़ैब़ नहीं थे । क्योंकि आलिमुल ग़ैब होना सिर्फ अल्लाह तआला की शान और उसकी खास शिफत है ।
- आप (ﷺ) खातिमुन नबिय्यीन हैं , कि आपके बाद कोई नया नबी नहीं होगा । सिर्फ ईसा अलैहिस्सलाम जो कि पहले के पैगंबर हैं वो आसमान से उतरेंगे और इस्लामी शरीयत की पैरवी करेंगे ।
- आप (ﷺ) इन्सान और जिन्नात सबके लिए रसूल हैं ।
- आप (ﷺ) कयामत के दिन अल्लाह तआला की इज़ाज़त से गुनाहगारों की शफाअत करेंगे । इसीलिए आप (ﷺ) को शफीउल-मुज़निबीन कहते हैं , और अल्लाह तआला आप (ﷺ) की शफाअत कुबूल फरमाएगा ।
- आपने जिन बातों का हुक्म किया है उन पर अम्ल करना और जिन बातों से मना किया है उन बातों से बाज़ रहना और जिन वाकियात की खबर दी है उनको उसी तरह मानना और यकीन करना उम्मत पर जरूरी है ।
- आप (ﷺ) के साथ मुहब्बत रखना और आपकी ताज़ीम व तकरीम करना हर उम्मती के लिए जिम्मे लाज़िम है । लेकिन ताज़ीम से मतलब वही ताज़ीम है जो शरीयत के कायदे के मुवाफिक हो । और शरीयत के खिलाफ की बातों को मुहब्बत या ताज़ीम समझना नादानी है ।
आखिरी बात
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