दोस्तों ! आज हम आपको एक बेहद मजेदार वाकिया सुनाएंगे । अगर आपको ये वाकिया पसंद आता है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें ।
Interesting story of a Muslim Couple in Hindi |
Islamic Waqia in Hindi
एक एक शख्स का रिश्ता एक आलिमा औरत से तय कर दिया गया । बात आगे बढ़ाई गई और उसका निकाह भी कर हो गया । निकाह होने के कुछ वक्त बाद उस औरत ने अपने शौहर से वादा किया कि आज से हम लोग शरीयत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुजारेंगे ।अपनी बीवी की ऐसी बात सुनकर वह शख्स बहुत खुश हुआ और सोचा कि अब उसकी बाक़ी ज़िंदगी उसकी बीवी की बरकत से शरीयत के मुताबिक़ गुजरेगी । इसी तरह कई दिन बीत गए ।
एक दिन उसकी बीवी ने अपने शौहर से कहा - “ देखो ! हमने अपने घर में शरीयत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुजारने का वादा किया था, और शरीयत में बीवी पर सास और ससुर की खिदमत करना वाजिब नहीं है, और शरीयत के मुताबिक़ शौहर को अपनी बीवी के लिए एक अलग घर का इंतज़ाम करना होता है । लिहाज़ा आप मेरे लिए एक अलग घर ले लीजिए । ये सुनकर वो आदमी बहुत परेशान हो गया । उसने सोचा कि एक अलग घर लेना उसके लिए कोई बहुत बड़ी तो नहीं है लेकिन उसके बूढ़े माँ-बाप का क्या होगा ? उसके बाद उनकी देखभाल कौन करेगा ?
अपनी इसी परेशानी में मुब्तला होकर वह मुहल्ले के मुफ्ती साहब के पास गया और अपना मसला उनके सामने पेश किया । यह सारी बातें सुनने के बाद मुफ्ती साहब ने उससे कहा - भाई तुम्हारी बीवी बात तो ठीक कह रही है । ये सुनकर वह आदमी गुस्सा हो गया और मुफ्ती साहब से तंज लहजे में कहने लगा - “ मैं आपके पास अपने मसले का हल लेने आया हूँ ना कि फतवा लेने !”
मुफ्ती साहब ने मुस्कुराते हुए उससे कहा - “ एक तरीक़ा है ! अपनी बीवी से कहो कि शरीयत के मुताबिक़ मै दूसरा निकाह कर रहा हूँ । मैं और वो मेरे मां-बाप के साथ रहेंगे और वो उनकी खिदमत भी करेगी । मैं तुम्हारे लिए एक अलग घर ले ले रहा हूँ । तुम वहीं रहना ।” मुफ्ती साहब की बताई तरकीब उसके दिमाग में बैठ गई । उसने घर आकर अपनी बीवी से वही बात बोली । जैसे ही उसकी बीवी ने ये सब सुना तो वो सकपका गई और कहने लगी - “ अज़ी दफ़ा करो दूसरी शादी को । मै इधर ही रहूंगी । आपके मां-बाप मेरे भी मां-बाप हैं । और उनकी ख़िदमत करना इकराम ए मुस्लिम भी है ।”
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