इस पोस्ट में आपको यह जानने को मिलेगा कि मौत का कौन सा वक्त अच्छा है । हालांकि अच्छे और बुरे का जानकार अल्लाह है लेकिन हमने हदीस की रोशनी में कुछ रिवायतें आपके सामने रखी हैं । पसन्द आने पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें ।
रिवायत है इब्न मसऊद (रजि.) से कि फरमाया रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने - जो शख्स रमज़ान शरीफ के आखिरी महीने में इंतिकाल करेगा वह जन्नती होगा । और जो शख्स अरफ़ा के रोज यानी नौवीं तारीख ज़िलहिज़्जा के आखिर दिन में इंतिकाल होगा वह भी जन्नती होगा ।
रिवायत है हुज़ैफा (रजि.) से कि फरमाया रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने - जो शख्स मरते वक्त ख़ालिश नियत से “ला इलाहा इल्लल्लाह” कहेगा वह जन्नती होगा । और जिस ने अल्लाह के वास्ते रोजा रखा और उसी हाल में मर गया तो वह जन्नती होगा । और जो शख्स सच्चे नियत से सदका देकर मरेगा वह जन्नती होगा ।
रिवायत है हजरत आईशा (रजि.) से कि फरमाया रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने - जिस ने रोजा रखा और उसी हाल में मर गया तो अल्लाह तआला उसके वास्ते कयामत तक के रोजे का सवाब अता फरमाएगा ।
रिवायत है ज़ाबिर (रजि.) से कि फरमाया रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने - जो कोई जुमा की रात को या जुमा के दिन मरेगा । उसको अल्लाह तआला अज़ाब ए कब्र से निज़ात देगा । और जब कयामत के दिन वह मैदान-ए-महशर में आएगा तो उसके बदन पर शहीदों की मुहर होगी ।
रिवायत है अबू ज़अफर (रजि.) से कि - जुमा कि रात रौशन रात है । और जुमा का दिन रौशन दिन है । जो शख्स जुमा की रात में मरेगा वह अज़ाब से निजात पाएगा । और जो शख्स जुमा के दिन में मरेगा वह दोजख़ से निजात पाएगा ।