Surah Maun in Hindi | Surah araytal lazi hindi translation | सूरह माउन हिन्दी में | अर अयतल लजी सूरह | Hindi, English & Urdu Translation
दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको सूरह माउन (अर अयतल लज़ी) की पूरी जानकारी देने वाले हैं । इस पोस्ट में हम आपको सूरह माउन (Surah Maun) का हिन्दी अरबी/उर्दू और अंग्रेजी तर्ज़ुमा भी बताएंगे । साथ ही साथ इस सूरह का खुलासा भी बताएंगे । तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें और पसंद आने पर अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें ।
Surah Maun in Hindi Mein
Surah Maun (Araytal lazi) अरब के शहर मक्का में नाजिल हुई । इस सूरह में 7 आयतें है और 1 रुकू है । हालांकि कुछ मुफस्सिर कहते हैं कि यह सूरह मदीने में नाजिल हुई क्योंकि इसमें मुनाफिकीन कि वह किस्में बताई गई है जो नमाज में गफलत बरतते हैं और वह अगर नमाज पढ़ते भी हैं तो दिखावे की नमाज पढ़ते हैं । ऐसे मुनाफिक कसरत से मदीने में ही पाए जाते थे क्योंकि मक्के में तो अहले इमान छुप-छुप कर नमाज पढ़ा करते थे । इसलिए यह भी मुमकिन है कि Surah Maun मदीने में नाज़िल हुई ।
नोट : [ मक्का में मुसलमान छुप-छुप कर नमाज इसीलिए पढ़ते थे क्योंकि अगर इसकी जानकारी दूसरों को हो जाती तो वह उन पर बेइंतिहा जुल्म करते थे ] ।
Surah Maun (Araytallazi) in Hindi
अर अयतल लज़ी यु कज़्ज़ीबू बिद्-दीन
फज़ालीकल लज़ी यदु’ उल-यतीम
वला यहुज़्ज़ू अला त-आमिल मिसकीन
फ-वैलुल-लिल मुसल्लीन
अल लज़ीना-हुम अन सलातीहीम साहून
अल लज़ीना हुम युरा-उन
वयम न-उ-नल मा-ऊन
Surah Maun Ka Hindi Tarjuma | Translation
क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है ?
वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है,
और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता ।
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,
जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,
और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते।
Surah Maun (Araytal lazi) in Roman English
Ara‘aytal lazi yukazzibu biddeen
Fazaalikal lazi yadu’ul-yateem
Wa la yahuddu ‘alaa ta’aamil miskeen
Fa wailul-lil musalleen
Allazeena hum ‘an salaatihim saahoon
Allazeena hum yuraaa’oon
Wa yamna’oonal maa’oon
English Translation Of Surah Maun (Araytal lazi)
- Seest thou one who denies the Judgment (to come)?
Then such is the (man) who repulses the orphan (with harshness),
And encourages not the feeding of the indigent.
So woe to the worshippers
Who are neglectful of their prayers,
Those who (want but) to be seen (of men),
But refuse (to supply) (even) neighbourly needs.
Surah Maun (Tabarakallazi) Ki Tafseer in Hindi Mein
कयामत के दिन का इनकार करना
इस सूरह में यह बताया गया है कि आखिरत पर ईमान ना लाने वाले इंसान यानी काफिरों में बहुत सी बुराइयां पैदा होती हैं । जैसे कि उन दिनों सारे मक्के वालों का हाल यह था कि किसी को आखिरत की जज़ा और सजा पर यकीन नहीं था और ना ही कयामत के दिन के आने का उनको यकीन था, बस यही दुनिया की जिंदगी और जिंदगी में आराम करना उन काफिरों को पता था ।
यतीमों का हक छीनना
वो लोग यतीमों का हक बगैर किसी हिचकिचाहट के, मार ले जाते थे और उनका सामान लूट लेते थे और उन पर ढ़ेर सारे ज़ुल्म करते थे । इनका कोई यार-व-मददगार नहीं था और ना ही कोई उनसे पूछने वाला था । उन लोगों के दिलों में किसी ऐसे दिन (कयामत) के आने का डर ही नहीं था । अगर कोई यतीम अपने हक का मुतालबा (मांग) करता था तो उसे धक्के मार कर निकाल दिया जाता था ।
खाना खिलाने को तरगीब न देना
वो लोग न ही खुद गरीबों को खाना खिलाते थे और ना ही दूसरों को खाना खिलाने की नसीहत करते थे । बस जितना हो सके अपना ही पेट भरते थे और अपने पैसे को जोड़-जोड़ कर रखते थे । किसी को कुछ मदद नहीं करते थे । यहां तक कि उनके पास जो चीज होती थी और कोई जरूरतमंद दोस्त उस चीज की मांग करता था तो साफ इनकार कर देते थे और जकात निकालने से तो उनके माल में कमी आ जाने वाली बात होती थी ।
दूसरा, वह आदमी जो गरीब और मोहताज को खाना नहीं खिलाता है और ना ही अपने घर वालों को कहता है कि गरीबों और में मिस्कीनों को खाना दो और ना ही दूसरे लोगों को उस बात पर उभारता है कि जो गरीब और मिस्कीन हैं और जो लोग भूख से मर रहे हैं उनको उनका हक दे दे ।
मुनाफिकों से पहचान और नमाज से गफलत
मुनाफिकों की एक जमात का जिक्र अल्लाह ताला ने इसी सूरह में किया है । कुछ लोग नाम के मुसलमान है जो कि नमाज पढ़ते हैं तो दूसरों को दिखाने के लिए । उनको अपने धंधे और मस्तियों से फुर्सत ही कहां मिलती है वरना अल्लाह की याद में और अल्लाह की दी हुई नेमतों के शुक्रगुजार होने में कुछ देर नमाज़ पढ़े और नमाज पढ़ते वक्त यह भी नहीं सोचते कि वह किस अजीम हस्ती के सामने खड़े हैं और उनका दिमाग दूसरी तरफ रहता है या फिर जल्दी-जल्दी नमाज पढ़ते हैं कहीं टेलीविजन का प्रोग्राम हाथ से निकल न जाए । चाहे नमाज का वक्त गुजर जाए लेकिन नमाज के लिए इनका प्रोग्राम खत्म नहीं होता तो फिर ऐसे लोगों को किस तरह का मुसलमान कहा जाए इनको मुनाफिक ही कहना बेहतर है ।
माउन (Maun) किसे कहते हैं ?
रोजाना के काम में इस्तेमाल की जानेवाली वैसी छोटी-छोटी चीज जो अक्सर लोगों के यहां नहीं हो ती है या पास-पड़ोस से मांग कर काम चलाना पड़ता है जैसे : घरेलू मशीन, फावड़ा, कुदाल, सीढ़ी, डोल, रस्सी, बाल्टी वगैरह । इन सब चीजों को माउन कहते हैं ।
एक सच्चे मोमिन की शान यह है कि जरूरतमन्दों को को यह चीजें खुशी से दे दे । वैसे भी काम पूरा हो जाने के बाद तो ये चीजें वापस आ ही जाएंगे । लेकिन जिसके अखलाक गिरे हुए होते हैं और जिसे आखिरत पर यकीन नहीं होता है और जो यतीमों की इज्जत नहीं करता है और नमाज में गफलत करता है ऐसे लोगों को तो इतनी तौफीक भी नहीं है कि कुछ देर के लिए किसी के काम में हाथ बंटा दें ।
FAQ About Surah Maun (Araytallazi)
सूरह माउन (Surah Maun) कहां नाज़िल हुई ?
सूरह माउन एक मक्की सूरह है और यह मक्का में नाज़िल हुई ।
सूरह माउन (Surah Maun) में कितने आयतें हैं ?
सूरह माउन में सात आयतें हैं ।
सूरह माउन किस सूरह में है ?
सूरह माउन (Surah Maun) कुरआन पाक का 107 वां सूरह है ।
सूरह माउन क्यों नाज़िल की गई ?
सूरह माउन उन लोगों के लिए नाज़िल की गई जो लालची और कपटी दोनों हैं । या फिर इससे मिलते जुलते वजहों से सूरह माउन नाज़िल की गई । हालांकि सूरह माउन में जिन बातों का जिक्र है वो सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए नहीं है बल्कि हमलोगों के लिए भी है ।
सूरह माउन (Surah Maun) की फजीलत क्या है ?
हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) ने फरमाया कि जो कोई भी सूरह माउन की तिलावत करेगा अल्लाह तआला उसे माफ करेगा और उसे अपना ज़कात पूरा करने का सवाब दिया जाएगा ।
⚡ मुसलमानों के लिए नसीहत ⚡
अल्लाह तआला की ये हिदायात जो इन आयातों में मौजूद हैं वो सिर्फ मुनाफिकीन और काफिरों के लिए नहीं हैं बल्कि मुसलमानों के लिए भी हैं । और जो कमियां ऊपर बताई गयीं हैं वो मुसलमानों में सिरे से होनी ही नहीं चाहिए । लेकिन बदकिस्मती से ये सारी चीज़ें आज के मुसलमानों में कसरत से पाई जा रही हैं । हालांकि ये तमाम काम ऐसे लोगों के हैं जो आखिरत को नहीं मानते और दुनिया ही को उन्होंने सब कुछ समझ रखा है । किसी सही मुसलमान से ऐसे कामों की उम्मीद नहीं की जा सकती है ।
Conclusion
इस पोस्ट में हमने सूरह माउन (Surah Maun in Hindi) जिसे सूरह अर अयतल लजी (Surah Araytal lazi in Hindi) के नाम से भी जाना जाता है, उसके बारे में जाना । साथ ही साथ हमने सूरह माउन की तफसीर और (Tarjuma) और इससे जुड़े सवालों के जवाब भी जाना । हमें उम्मीद है कि आपको हमारा ये पोस्ट जरूर पसन्द आया होगा । इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें क्योेंकि अच्छी बात को दूसरों तक पहंचाना भी सदका-ए-ज़ारिया है । इसी तरह के पोस्ट के लिए हमसे जुड़ें रहिए और इस नेक काम में हमारी मदद जरूर करें ।