Eid e Milad un Nabi Date in India 2023
मिलाद उन नबी अरबी ज़ुबान का लफ्ज़ है । इंडिया और पाकिस्तान में इसे Eid e Milad un Nabi के नाम से भी जाना जाता है । यह त्यौहार पूरी दुनिया में जोर-शोर से मनाया जाता है । इस त्यौहार को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य इस्लाम के आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) के जन्म से जुड़ा हुआ है । मानवता को सच्चाई और धर्म का संदेश देने वाले पैंगबर हजरत मोहम्मद (ﷺ) का जन्म इसी दिन हुआ था और इसी तारीख को उनका वफात भी हुआ था । ऐसा माना जाता है कि अपने इंतकाल से पहले हजरत मुहम्मद (ﷺ) बारह दिनों तक बीमार रहे थे ।
बारा का मतलब होता है बारह , और वफात का मतलब होता है इंतकाल हो जाना । चूंकि बारह दिनों तक बीमार रहने के बाद इस दिन उनका इस दुनिया से पर्दा फरमाया था इसलिए इस दिन को Barawafat के तौर पर मनाया जाता है।
इसके साथ ही इस दिन को Eid e Milad Un Nabi के नाम से भी जाना जाता है। जिसका मतलब है — मुहम्मद (ﷺ) की पैदाईश का दिन । क्योंकि मुहम्मद (ﷺ) का जन्म भी इसी दिन हुआ था। यही कारण है शिया मुस्लिम इस दिन को जश्न के रुप में मनाते हैं ।
Jashne Eid Milad un Nabi Kab Hai ?
चूंकि Eid e Milad un Nabi पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए एक खास त्यौहार है इसीलिए इस दिन सभी सरकारी संस्थाओं और राज्यों में अवकाश होता है । हमारे मुल्क हिन्दुस्तान के सरकारी कैलेंडर में भी ईद मिलाद उन नबी के दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है ।
12 वफात 2023 में कब है ? - Barawafat 2023 Date in India
जैसा कि हम आपको उपर ही बता चुके हैं कि ज्यादातर इस्लामिक त्यौहार चांद के दिखने/नहीं दिखने पर निर्भर हैं । मुसलमान चांद देखकर ही ईद और बकरीद मनाते हैं , ठीक इसी तरह आशूरा और ईद मिलाद उन नबी की तारीख़ भी चांद देखकर ही तय किया जाता है । ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िम है कि आखिरकार 'Eid Milad un Nabi' किस तारीख को है ?
Eid e Milad un Nabi का त्यौहार 2023 में कब मनाया जाएगा ?
हिन्दुस्तान में ईद मिलाद उन नबी का त्यौहार 27 या 28 सितंबर को हो सकता है ।
हिजरी कैलेंडर के मुताबिक Barawafat 2023 में कब है ?
इस्लामिक कैलेंडर यानी हिजरी कैलेंडर में, रबी अल-अव्वल तीसरे महीने को कहा जाता है । अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक यह मार्च का महीना होता हैै । रबी उल अव्वल महीने की 12वीं तारीख को ईद मिलाद उन नबी का त्यौहार मनाया जाता है ।
नोट : 20 सितंबर से पहले तक ये बात कंफर्म हो जाएगी कि ईद मिलाद उन नबी कब है !
जश्ने ईद मिलादुन्नबी (12 रबी अल अव्वल) क्यों मनाया जाता है ?
यह त्यौहार आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) के इस दुनिया में तशरीफ लाने की खुशी में मनाया जाता है । आप (ﷺ) का जन्म 08 जून , 570 ई० को मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था । इसमें याद रखने वाली बात ये भी है कि आप (ﷺ) की पैदाईश और वफात दोनों 8 जून के दिन ही हुई थी । आपके वालिद का नाम अब्दुल्लाह और वालिदा का नाम बीबी आमिना है। आप (ﷺ) 62 साल की उम्र में 8 जून 632 ई० को इस दुनिया से पर्दा फरमा गए । अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक आपका जन्म और वफात दोनों ही 8 जून को हुआ था ।
पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) की तालीम
इस्लाम की शक्ल में पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) के ज़रिये अल्लाह तआला ने दुनिया को एक अज़ीम और शानदार तोहफा दिया । पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) द्वारा इस्लाम का संदेश देने से पहले अरब समाज हर तरह की बुराईयों से भरा पड़ा था । लोग अपनी बेटियों को जिंदा जला थे और छोटे-छोटे झगड़ों पर भी तलवारों का इस्तेमाल करना आम बात हो गई थी । लेकिन अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (ﷺ) ने लोगों को जिंदगी जीने का सही तरीका सीखाया ।
उनकी पूरी जिंदगी में उनके अनगिनत मोजज़े (चमत्कार) हैं , उन्होंने अपनी तालीम के ज़रिये अरब के चरवाहा कबीलों को एक सभ्य समाज में बदल दिया । इस्लाम से पहले अरब के लोग छोटी-छोटी बातों पर भी एक दूसरे का कत्ल कर देते थे , लेकिन इस्लाम के आने के बाद अरब के बेरहम कबीलों में ना सिर्फ सभ्यता का उदय हुआ बल्कि की भाईचारे का भी विकास हुआ और यह सब संभव सिर्फ इस्लाम और कुरान का संदेश के कारण हो पाया ।
वैसे तो इस त्योहार को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) के इंतिकाल के बाद से ही मनाया जा रहा है। हालांकि सन् 1588 ई० में सल्तनते उस्मानिया के हुकूमत के दौरान यह त्योहार काफी मशहूर हो गया और तब से हर साल रबी अल-अव्वल की 12 वीं तारीख को बेहद शानदार शक्ल में मनाया जाने लगा ।
ईद मिलाद उन नबी (Eid e Milad un nabi) कैसे मनाया जाता है ?
- मज़हबे इस्लाम के मानने वाले इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) की पाक जिन्दगी को याद करते हैं ।
- मां-बाप अपने बच्चों को आप (ﷺ) की तालीम, दिलेरी, बहादुरी और माफ करने की आदत के बारे में बताते हैं ।
- मुसलमान इस दिन गरीबों को खाना खिलाते हैं और उन्हें सदका देते हैं ।
- Eid e Milad un Nabi के दिन मस्जिदों में नमाज़ें पढ़ी जाती हैं और लोग दुआएं मांगते हैं ।
- राष्ट्रीय अवकाश होने के वजह से इस दिन सरकारी संस्थानों, डाकघरों और बैंकों में छुट्टियां रहती हैं ।
- लोग इस दिन जुलूस भी निकालते हैं ।
- ईद मिलाद उन नबी के दिन मुसलमान अपने घरों में पवित्र कुरान पाक की तिलावत करते हैं और पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (ﷺ) को याद करते हुए उनके बताए गए रास्ते पर चलने की हिदायत लेते हैं ।
सुन्नी मुसलमान Barawafat कैसे मनाते हैं —
बारावफात (Barawafat) के दिन को सुन्नी मुसलमान पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) की पैदाइश की खुशी के साथ-साथ पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) के वफात का ग़म भी मनाते हैं । और वे शिया मुसलमानों की तरह किसी नाच-गाने में शामिल नहीं होते हैं । इस दिन सुन्नी मुसलमान पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) को याद करते हैं और उनकी दी हुई तालीम को खुद अपनाने के साथ-साथ दूसरों तक भी पहुंचाने का अहद करते हैं । 12 रबी उल-अव्वल के दिन सुन्नी मुसलमान मस्जिदों में जाते हैं और इबादत करते हैं ।
शिया मुसलमान Barawafat कैसे मनाते हैं —
Eid e Milad un Nabi को शिया मुसलमान काफी उत्साह के साथ मनाते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) ने अपने दामाद और चौथे ख़लीफा 'हजरत अली' (रज़ि.) को अपना वारिस बनाया गया था । यही वजह है कि शिया मुसलमान मिलादुन्नबी के दिन को नये नेता के चुने जाने के जश्न के तौर पर मनाते हैं । इसके अलावा वो इस दिन को पैगंबर हजरत मुहम्मद (ﷺ) के जन्मदिन के रुप में भी मनाते हैं ।
आखिरी बात
उम्मीद है कि आपको आज का यह पोस्ट जरूर पसन्द आया होगा । इस पोस्ट में हमने आपको Eid e Milad un Nabi / ईद मिलाद उन नबी (Barawafat) 2023 की तारीख और इसको मनाने के पीछे की वजह बताई है । इस पोस्ट को सदका-ए-ज़ारिया की नियत से ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और ऐसे ही मज़ीद पोस्ट की नोटिफिकेशन हासिल करने के लिए हमें सोशल मीडिया पर Follow जरूर करें । [ अल्लाह हाफिज़ !]